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Priyanshu Mishra Thank you iss tarah se ham padhne walon ke liye books taiyaar krne ke liye cover is good.. Book is outstanding.. ❤rekhta
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Rekhta urdu Prose आज़ाद के कारनामे 1 & 2 - रतननाथ सरशार की “आज़ाद के कारनामे” उर्दूअदब की एक शाहकार किताब है जो कुल छह हिस्सों में प्रकाशित हुई है। इस किताब में मियाँ आज़ाद और हज़रत ख़ोजी के क़िस्से हैं लखनऊ के रेलवे स्टेशनों, बाज़ारों और पटरियों की मंज़र-कशी... Read More
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Rekhta urdu Prose
आज़ाद के कारनामे 1 & 2 - रतननाथ सरशार की “आज़ाद के कारनामे” उर्दूअदब की एक शाहकार किताब है जो कुल छह हिस्सों में प्रकाशित हुई है। इस किताब में मियाँ आज़ाद और हज़रत ख़ोजी के क़िस्से हैं लखनऊ के रेलवे स्टेशनों, बाज़ारों और पटरियों की मंज़र-कशी है। अलग-अलग जगहों की सैर करते हुए मियाँ आज़ाद अजब-ग़ज़ब कारनामे करते हैं कई बार पढ़ने वालों को हैरत में डालती है तो कई बार उन्हें हँसाती और गुदगुदाती है।
बीवी कैसी होनी चाहिए- इस किताब में चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी की मज़ाहिया तहरीरें हैं जिनमें तंज़ का पहलू भी छुपा हुआ है जो आपको बेसाख़्ता हँसने पर मजबूर करता है। इनके ख़ुतूत जहाँ आपको गुदगुदाने का काम करते हैं वहीं अपनी नुमायाँ ज़बान की लताफ़त से अपने सेह्र में ले लेते हैं।
शादी हिमाकत है- इस किताब में शौकत थानवी की चुनिन्दा मज़ाहिया तहरीरें शामिल हैं जिसमें न केवल आपको हँसाने और गुदगुदाने का सामान है बल्कि उर्दू की मिज़ाह-निगारी से आपका तआरुफ़ भी कराती हैं।
मीर बीमार हुए- "मीर बीमार हुए" फ़िक्र तौंसवी की मज़ाहिया मज़ामीन का मज्मूआ है जिसमें ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को बड़ी ही नाज़ुकी से बयान किया गया है। फ़िक्र तौंसवी का व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशद्दुद से, दास्तानों की मसनूइयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।
एक और एक चार- "एक और एक चार" मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग चंद मज़ाहिया क़िस्सों का संग्रह है जिसे पढ़ते हुए हम हँसते नहीं, क़हक़हा नहीं लगाते बस एक ज़ेहनी लुत्फ़ हासिल करते हैं। किसी मौज़ू या किसी शख़्सियत पर छोटी-छोटी बातों को ऐसी तफ़सील से बयान किया गया है कि क़ारी का पढ़ने का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है।
चाचा छक्कन- मक़बूल मुसन्निफ़ इम्तियाज़ अली ताज की तख्लीक़ “चचा छक्कन” एक ऐसा किर्दार है जिसकी शख़्सियत में तमाम तरह के रंग भरे हुए हैं| उनका हर अन्दाज़ दिल को भाता और गुदगुदाता है| ये किर्दार जब बात करे तो हँसी आए| जब किसी पर ग़ुस्सा पर हो तो हँसी आए| कभी झगड़ा चुकाता है तो कभी मेलों की सैर करता है| लेकिन जगह कोई भी हो, अमल कोई भी हो, चचा छक्कन से ज़्यादा क़ाबिल और हरफनमौला किर्दार शायद ही लिखा गया हो| इस किताब में चचा छक्कन के ऐसे ही सात कारनामों की कहानी है जो पढ़ने वालों को हँसाने औए गुदगुदाने वाली है|
दिल्ली के चटखारे- दिल्ली शहर के बार-बार उजड़ने और आबाद होने की कहानी इसे अपने आप में एक ख़ास मुकाम अता करती है और इस शहर की कहानियों को दिलचस्प बनाती है| इस किताब में शाहिद अहमद देहलवी ने अपने ख़ास अन्दाज़ में दिल्ली के बाज़ारों, कटरों और मोहल्ले की खिडकियों का बयान किया है| इस किताब को पढ़ते हुए दिल्ली की गलियों में गूँजती फेरी वालों की सदाएँ और उनके टोकरों, देगों और भट्टियों से उठती हुई महक आपके दिल में उतर जाती है| शाहिद साहब की नज़र से दिल्ली को देखना एक पूरी तारीख़ के गवाह होने के बराबर है|
Title | Default title |
---|---|
Publisher | Rekhta Books |
Language | Hindi |
ISBN | NA |
Pages | NA |
Publishing Year | 2023 |
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आज़ाद के कारनामे 1 & 2 - रतननाथ सरशार की “आज़ाद के कारनामे” उर्दूअदब की एक शाहकार किताब है जो कुल छह हिस्सों में प्रकाशित हुई है। इस किताब में मियाँ आज़ाद और हज़रत ख़ोजी के क़िस्से हैं लखनऊ के रेलवे स्टेशनों, बाज़ारों और पटरियों की मंज़र-कशी है। अलग-अलग जगहों की सैर करते हुए मियाँ आज़ाद अजब-ग़ज़ब कारनामे करते हैं कई बार पढ़ने वालों को हैरत में डालती है तो कई बार उन्हें हँसाती और गुदगुदाती है।
बीवी कैसी होनी चाहिए- इस किताब में चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी की मज़ाहिया तहरीरें हैं जिनमें तंज़ का पहलू भी छुपा हुआ है जो आपको बेसाख़्ता हँसने पर मजबूर करता है। इनके ख़ुतूत जहाँ आपको गुदगुदाने का काम करते हैं वहीं अपनी नुमायाँ ज़बान की लताफ़त से अपने सेह्र में ले लेते हैं।
शादी हिमाकत है- इस किताब में शौकत थानवी की चुनिन्दा मज़ाहिया तहरीरें शामिल हैं जिसमें न केवल आपको हँसाने और गुदगुदाने का सामान है बल्कि उर्दू की मिज़ाह-निगारी से आपका तआरुफ़ भी कराती हैं।
मीर बीमार हुए- "मीर बीमार हुए" फ़िक्र तौंसवी की मज़ाहिया मज़ामीन का मज्मूआ है जिसमें ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को बड़ी ही नाज़ुकी से बयान किया गया है। फ़िक्र तौंसवी का व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशद्दुद से, दास्तानों की मसनूइयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।
एक और एक चार- "एक और एक चार" मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग चंद मज़ाहिया क़िस्सों का संग्रह है जिसे पढ़ते हुए हम हँसते नहीं, क़हक़हा नहीं लगाते बस एक ज़ेहनी लुत्फ़ हासिल करते हैं। किसी मौज़ू या किसी शख़्सियत पर छोटी-छोटी बातों को ऐसी तफ़सील से बयान किया गया है कि क़ारी का पढ़ने का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है।
चाचा छक्कन- मक़बूल मुसन्निफ़ इम्तियाज़ अली ताज की तख्लीक़ “चचा छक्कन” एक ऐसा किर्दार है जिसकी शख़्सियत में तमाम तरह के रंग भरे हुए हैं| उनका हर अन्दाज़ दिल को भाता और गुदगुदाता है| ये किर्दार जब बात करे तो हँसी आए| जब किसी पर ग़ुस्सा पर हो तो हँसी आए| कभी झगड़ा चुकाता है तो कभी मेलों की सैर करता है| लेकिन जगह कोई भी हो, अमल कोई भी हो, चचा छक्कन से ज़्यादा क़ाबिल और हरफनमौला किर्दार शायद ही लिखा गया हो| इस किताब में चचा छक्कन के ऐसे ही सात कारनामों की कहानी है जो पढ़ने वालों को हँसाने औए गुदगुदाने वाली है|
दिल्ली के चटखारे- दिल्ली शहर के बार-बार उजड़ने और आबाद होने की कहानी इसे अपने आप में एक ख़ास मुकाम अता करती है और इस शहर की कहानियों को दिलचस्प बनाती है| इस किताब में शाहिद अहमद देहलवी ने अपने ख़ास अन्दाज़ में दिल्ली के बाज़ारों, कटरों और मोहल्ले की खिडकियों का बयान किया है| इस किताब को पढ़ते हुए दिल्ली की गलियों में गूँजती फेरी वालों की सदाएँ और उनके टोकरों, देगों और भट्टियों से उठती हुई महक आपके दिल में उतर जाती है| शाहिद साहब की नज़र से दिल्ली को देखना एक पूरी तारीख़ के गवाह होने के बराबर है|