This Combo set has 4 books of sufi.
1. Bekhud Kiye Dete Hain
Author: Bedam Shah Warsi & Editor: Suman Mishra
ये किताब हिन्दुस्तान की सूफ़ी परम्परा की प्रमुख आवाज़ों को सामने लाने की एक कोशिश है। इस किताब में मशहूर शाइर बेदम शाह वारसी की ग़ज़लों, फ़ारसी कलाम, मंक़बत, हम्द, नात, सलाम, मुनाजात, रुबाइयात, क़तआत और पूरबी कलाम का संग्रह है। इस किताब का संकलन एवं सम्पादन सुमन मिश्र ने किया है।
2. Jo Dooba So Paar
Author: Hazrat Amir Khusrau & Editor: Suman Mishra
सुमन मिश्र
14 अगस्त 1982, बड़हिया, लखीसराय (बिहार) में जन्मे सुमन मिश्र सूफ़ीवाद के गंभीर अध्येता और कवि हैं । वह समय-समय पर भिन्न-भिन्न ज्ञान-अनुशासनों में सक्रिय रहे हैं, इसमें संगीत का भी एक पक्ष है । यह ध्यान देने योग्य है कि इन सभी स्रोतों ने सूफ़ीवाद के उनके अध्ययन को एक दुर्लभ मौलिकता दी है । उनका काम-काज कुछ प्रतिष्ठित प्रकाशन-स्थलों में प्रकाशित हो चुका है । वह रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘सूफ़ीनामा’ से संबद्ध हैं ।
3. Sair Kar Duniya Ki Ghafil
Author: Khwaja Meer Dard & Editor: Suman Mishra
ये किताब हिन्दुस्तान की सूफ़ी परम्परा की प्रमुख आवाज़ों को सामने लाने की एक कोशिश है। इस किताब में मशहूर शाइर ख़्वाजा मीर दर्द की ग़ज़लों, फ़ारसी कलाम, रुबाइयात, क़तआत और अशआर का संग्रह है। इस किताब का संकलन एवं सम्पादन सुमन मिश्र ने किया है।
4. Ashiqo Paanw Na Ukhre
Author: Hazrat Shah Akbar Danapuri & Editor: Suman Mishra
About Book:
ये किताब हिन्दुस्तान की सूफ़ी परम्परा की प्रमुख आवाज़ों को सामने लाने की एक कोशिश है। इस किताब में मशहूर शाइर शाह अकबर दानापूरी की ग़ज़लों, फ़ारसी कलाम, मंक़बत, नात, हम्द, सलाम, मुनाजात, रुबाइयात, क़तआत और नज़्मों का संग्रह है। इस किताब का संकलन एवं सम्पादन सुमन मिश्र ने किया है।
About Author:
इम्तियाज़ अली ताज
इम्तियाज़ अली ताज का शुमार उर्दू के नुमाइन्दा नस्र-निगारों में होता हैं जिन्होंने ‘अनारकली’ और ‘चचा छक्कन’ जैसे किरदारों की तख़्लीक़ की जो अपने फ़ितरत, ज़बान और बर्ताव की ख़ासियत की वज्ह से उर्दू क़ारीन में ख़ासे मक़बूल हुए।
इम्तियाज़ अली ताज की पैदाइश 13 अक्तूबर, 1900 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) के एक मशहूर ख़ानदान में हुई। इम्तियाज़ अली ताज ने गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से ग्रेजुएशन किया और एम. ए. में दाख़िला लिया मगर आख़िरी इम्तिहान नहीं दे पाए। उन्हें थिएटर और मुशायरों में ख़ासी दिलचस्पी थी और शुरुआती वक़्त में उन्होंने शेर भी कहे। उन्होंने अपना पहला अफ़साना सिर्फ़ 17 साल की उम्र में लिखा। अपने तख़्लीक़ी तहरीर के अलावा, उन्होंने ऑस्कर वाइल्ड, ओलिवर गोल्डस्मिथ और कई अन्य अंग्रेज़ी लेखकों का तर्जुमा भी किया।
इसके अलावा, ताज एक मोतबर सहाफ़ी थे जो अक़दार पर यक़ीन रखते थे। उन्होंने अठारह साल की उम्र में ‘कहकशाँ’ नामक एक मासिक पत्रिका शुरू की। उन्होंने अफ़सानों के अलावा अदबी मज़ामीन, सवानेह, ड्रामे, मंज़र-नामे, और मुकालमे लिखे, और अपनी फ़िल्म कम्पनी ‘ताज प्रोडक्शन लिमिटेड’ के तहत फ़िल्में भी बनाईं। 19 अप्रैल, 1970 को लाहौर में उन्होंने आख़िरी साँस ली।