जावेद अख़्तर अक्सर मुशायरे में ख़राब उच्चारण का ज़िक्र छेड़ते हैं। एक बार रेख़्ता के ही मंच पर कहा था- “दिक़अत नुक़्ता लगाना नहीं है, दिक़अत अतिरिक्त नुक़्ते से है. जावेद बोलना होता है तो लोग ज़ावेद कहते हैं.” और ये कोई बहुत बड़ी कमी भी नहीं, भाषाई ज्ञान न होना कोई गुनाह तो नहीं. भाषाओं के बाद कई बोलियों में बंटे मुल्क की भाषा शुद्ध हो ये ज़रूरी नहीं। बस ज़रूरी ये है कि अगर आपको सीखने में दिलचस्पी हो तो हर नई भाषा रोचक है। उर्दू के बारे में भी यही है. मीठी सी ये भाषा दूर से खड़े हो कर देखने में कितनी कठिन दिखती है। वजह एक ये भी है कि हमें पता ही नहीं कैसे इसे सीखें और कैसे इसे सही ढंग से बरत सकें। भाषा पर पकड़ तो तीनों फ़ॉर्मेट के अभ्यास यानी बोलने,सुनने और लिखने से ही आती है। और उर्दू के साथ तो ये भी है कि ज़ियादातर लोग इसे सुन कर ही इसकी और खिंचे चले आते हैं। ऐसे में वो लिखना, पढना और बोलना नहीं सीख पाते जो भाषा की समझ की महत्त्वपूर्ण कड़ियाँ हैं। पहले तो लोग उस्तादों से उर्दू सीख लिया करते थे लेकिन अब वो भी चलन समय के साथ बढ़ी व्यस्तताओं में गुम हो गया है। बहरहाल, हमारे पास उर्दू लर्निंग का एक नया और आधुनिक माध्यम है जिसका नाम है ‘रेख़्ता उर्दू लर्निंग गाइड’ यानी RULG. आप हिंदी जानते हैं तो हिंदी से उर्दू पढ़ने-लिखने के लिए ये किताबआपके लिए सहायक होगी। इस किताब में उर्दू की बुनियादी समझ के साथ लिखना पढ़ना सीखने के लिए मुकम्मल जानकारी मौजूद है ।
आजकल उर्दू में बोलने और लिखने का ट्रेंड ज़ोर शोर पर है। उर्दू शब्दों का इस्तेमाल, उसे बोलने-बरतने की कोशिश आम होती दिखाई देती है। लेकिन जानकारी पूरी न होने की वजह से हम उर्दू सुन तो लेते हैं लेकिन लिखने के लिए फिर लौट कर देवनागरी में आ जाते हैं। और साथ इस भाषा के बड़े साहित्यकोष तक पहुँच पाने में नाकाम रहते हैं।
इन सब मुश्किलों का हल है रेख़्ता उर्दू लर्निंग गाइड’ उर्फ़ RULG