Swami Dayanand Saraswati
| Item Weight | 200 Grams |
| ISBN | 978-9381063644 |
| Author | Meenu Sinhal , Madhur Athaiya |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2017 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Swami Dayanand Saraswati
आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती भारत के प्रख्यात समाज सुधारक, चिंतक और देशभक्त थे। वे बचपन में 'मूलशंकर' नाम से जाने जाते थे। महर्षि ने सभी धर्मों में व्याप्त बुराइयों का कड़े शब्दों में खंडन किया और अपने महान् ग्रंथ 'सत्यार्थप्रकाश' में उनका विश्लेषण किया। बचपन की एक घटना ने उन्हें उद्वेलित कर दिया और ईश-भक्ति से उनका मोह भंग हो गया, जब उन्होंने देखा कि भगवान् पर चढ़ा भोग चूहे खा रहे हैं, पर भगवान् उन्हें भगाने में अक्षम हैं।जीवन-मृत्यु के प्रश्न उन्हें बचपन से ही मथने लगे थे। माता-पिता उनके विवाह की जुगत लगाने लगे तो सन् 1846 में उन्होंने गृह-त्याग किया और स्वामी विरजानंद को अपना गुरु बनाकर वैदिक साहित्य का अध्ययन किया। शिक्षा व सत्यार्थ पाकर उन्होंने अनेक स्थानों की यात्रा की और धर्म में व्याप्त बुराइयों का तार्किक खंडन किया। कहते हैं कि एक रहस्यमय घटनाक्रम में इन महान् समाज-सेवी, दार्शनिक और प्रखर वक्ता को पिसा काँच और विष देकर मार दिया गया।समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से पठनीय धर्मध्जवाहक स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रेरणाप्रद जीवनी।
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