मुंशी प्रेमचंद, भारतीय साहित्य के सबसे प्रख्यात लेखकों में से एक हैं जिन्होंने अपनी गहरी कहानियों और शक्तिशाली लेखन से भारतीय साहित्य पर अटूट छाप छोड़ी है। अब आप एक ही जगह पर उनकी 5 सबसे प्रसिद्ध किताबें एक सेट में खरीद सकते हैं। इस मुंशी प्रेमचंद की किताबें सेट में उनकी कुछ सबसे जानी मानी उपन्यास शामिल हैं: रंगभूमि, गोदान, गबन, निर्मला और प्रेमाश्रम। प्रत्येक किताब प्रेमचंद की कहानी कुशलता और उनकी दुखद चरित्रों और रोमांचक कहानियों को दर्शाती है।
रंगभूमि - नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव इस उपन्यास की कथावस्तु है। सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन तथा स्त्री-दुदर्शा का भयावह चित्र भी इस उपन्यास द्वारा अंकित गया है। परतन्त्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास प्रेमचन्द के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है। सही मायनों में प्रेमचन्द का सम्पूर्ण कथा संसार उनके इसी भाव-बोध को दर्शाता है। 'रंगभूमि' का उद्देश्य भी उस मनोभाव को उकेरता है जो समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का हौंसला रखता है।
निर्मला- मुंशी प्रेमचंद की जानी-मानी रचना है जिसमें उन्होंने भारत में महिलाओं के प्रति होने वाले सामाजिक अन्याय पर रोशनी डाली है। निर्मला पंद्रह साल की कमसिन लड़की है जो दहेज प्रथा के कारण, एक बूढ़े व्यक्ति से ब्याही जाती है। विवाह के बाद निर्मला को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और इन सबका उसके दिल पर क्या असर पड़ता है- इस सबका उपन्यास में मार्मिक वर्णन है।हिंदी साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का अग्रणी स्थान है और 1928 में पहली बार प्रकाशित 'निर्मला' आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।
‘प्रेमाश्रम - बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में अत्याचारी जमीदारो, रिश्वतखोर राजकर्मचारियों, अन्यायी महाजनों और संघर्षरत किसानों की कथा है। इस अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास में शोषणरहित और सुखी समाज के आदर्श की स्थापना की गई है। प्रेमचंद ने समाधान के रूप में प्रेमाश्रम की कल्पना की है, जिस पर आलोचकों में विवाद है। पर इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेमचंद की भाषा की सजीवता और काव्यात्मकता इस उपन्यास में अपने श्रष्ठतम रूप में प्रगट हुई है।
गोदान - क शासन के अंतर्गत किसान के महाजनी व्यवस्था में चलने वाले निरंतर शोषण तथा उससे उत्पन्न संत्रास कथा है. तत्कालीन भारत की सामाजिक, राजनितिक एवं आर्थिक परिस्तिथियों को तथा उस समय के गरीबों पर हो रहे शोषण को उजागर करने वाला यह उपन्यास मुंशी प्रेमचंद का अंतिम पूर्ण उपन्यास है I गोदान का नायक होरी एक किसान है जो किसान वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद है. होरी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों जैसे धनिया, रूपा, सोना, गोबर और झुनिया की कहानी सुनाने वाला ये उपन्यास जातिवाद और पूंजीवाद जैसी अनेक समस्याओं तथा उनके गरीब नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी दर्शाता है. यह सिर्फ़ होरी की कहानी नहीं बल्कि उस काल के हर भारतीय किसान की कथा है. गोदान के गाँव और शहर की दो कथाओं का यथार्थ रूप और संतुलित मिश्रण प्रस्तुत किया गया है. दोनों कथाओं का संगठन इतनी कुशलता से हुआ है कि उसमें प्रवाह बना रहता है. यह रचना तब और भी महत्वपूर्ण बन जाती है, जब प्रेमचंद भारत के ाओसे कालखंड का वर्णन करते है जिसमें सामंती समाज के अंग किसान और ज़मींदार दोनों ही मिट रहे है और पूंजीवादी समाज के मज़दूर तथा उद्योगपति उनकी जगह ले रहे हैं. गोदान को ग्रामीण जीवन और कृषक संस्कृति का महाकाव्य कहा जा सकता है
ग़बन - ग़बन प्रेमचन्द द्वारा रचित उपन्यास है। ‘निर्मला’ के बाद ‘ग़बन’ प्रेमचन्द का दूसरा यथार्थवादी उपन्यास है। कहना चाहिए कि यह उसके विकास की अगली कड़ी है। ग़बन का मूल विषय है—'महिलाओं के जीवन में उनके पति का प्रभाव'। ग़बन प्रेमचन्द के एक विशेष चिन्ताकुल विषय से सम्बन्धित उपन्यास है। यह विषय है, गहनों के प्रति पत्नी के लगाव का पति के जीवन पर प्रभाव। ग़बन में टूटते मूल्यों के अँधेरे में भटकते मध्यवर्ग का वास्तविक चित्रण किया गया। इन्होंने समझौतापरस्त और महत्वाकांक्षा से पूर्ण मनोवृत्ति तथा पुलिस के चरित्र को बेबाकी से प्रस्तुत करते हुए कहानी को जीवन्त बना दिया गया है। इस उपन्यास में प्रेमचन्द ने नारी समस्या को व्यापक भारतीय परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा है और उसे तत्कालीन भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन से जोड़कर देखा है। सामाजिक जीवन और कथा-साहित्य के लिए यह एक नयी दिशा की ओर संकेत करता है। यह उपन्यास जीवन के यथार्थ की पड़ताल अधिक गहराई से करता है और भ्रमों को तोड़ता है।