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राग-रंग-रस-रूपकोहबर काव्य अनूपकोहबर यानी कि कोष्ठवर ! वर का प्रकोष्ठ ! बिहार में कोहबर के बिना विवाह की कल्पना भी नहीं की जा सकती !वह छोटा-सा कमरा जहाँ वर-वधू को बैठाकर देवताओं का पूजन और अन्य अनुष्ठान करवाए जाते हैं, कोहबर होता है।इस कक्ष में हास-परिहास भी चलता है ओर... Read More
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