'कविता का देश' आधुनिक हिंदी कविता के शिखर कवियों में समादृत केदारनाथ सिंह की काव्य-सर्जना पर विवेचन-विश्लेषण की पुस्तक है जिसका सम्पादन चर्चित युवा आलोचक गजेंद्र पाठक और दिग्विजय सिंह ने किया है। पुस्तक में वरिष्ठ आलोचकों-लेखकों के साथ-साथ समकालीन आलोचना परिदृश्य में उपस्थित ऐसे अनेक लोगों की भागीदारी है जो अपने लेखन से गहरी आश्वस्ति देते रहे हैं। पुस्तक में कविवर केदारनाथ सिंह की काव्य यात्रा को अनेक स्तरों पर थाहने का प्रयत्न किया गया है जिससे उनकी कविताओं का एक तरफ़ पुनर्मूल्यांकन सम्भव हो सका है, तो दूसरी तरफ़ उनके पाठ की बहु-स्तरीयता का उद्घाटन भी। कुँवर नारायण की दृष्टि में केदारनाथ सिंह कविता के माध्यम से 'साहित्य की एक ज़्यादा बड़ी दुनिया की ओर संकेत कर रहे होते हैं' तो विष्णुचन्द्र शर्मा उन्हें 'मूलत: समूह भावना की अनुभूति के विश्वसनीय कवि मानते हैं।' विष्णु खरे कहते हैं कि 'मानव और प्रकृति के बीच सम्बन्ध को उसके विभिन्न आयामों में जितना उन्होंने देखा है, हिंदी के किसी समकालीन कवि ने शायद ही देखा हो।' बच्चन सिंह उनकी कविता को 'बराबर अपने समय में दाल में नमक की तरह प्रवेश करते' देखते हैं।इसके अतिरिक्त वरिष्ठ और युवा प्राय: सभी लेखकों; यथा दूधनाथ सिंह, पी.एन.सिंह, खगेन्द्र ठाकुर, भगवान सिंह, राजेश जोशी, अरुण कमल, प्रियदर्शन, सन्ध्या सिंह, गोविंद प्रसाद, रवि श्रीवास्तव, ज्योतिष जोशी, कृष्णमोहन झा, कृष्णमोहन, पल्लव और पंकज पराशर आदि पच्चीस आलोचकों-कवियों के मन्तव्यों से गुज़रना एक नए अनुभव को पाना है जिससे केदारनाथ सिंह के काव्य संसार को समझना हिंदी कविता में उनकी दुर्लभ उपस्थिति को महसूस करना है।