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Kathak Ki Parampara, Gharane aur Stree Prashn

Rs. 750

Discourse यह पुस्तक कथक नृत्य की परंपरा, विकास और बदलाव को एक स्त्री दृष्टि से देखने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है। कथक एक ऐसा नृत्य रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल रही हैं पर उसमें पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है। बावजूद इसके महिलाओं की एक बड़ी संख्या ने... Read More

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Discourse यह पुस्तक कथक नृत्य की परंपरा, विकास और बदलाव को एक स्त्री दृष्टि से देखने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है। कथक एक ऐसा नृत्य रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल रही हैं पर उसमें पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है। बावजूद इसके महिलाओं की एक बड़ी संख्या ने इस नृत्य को बुलंदी पर पहुँचाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका दर्ज कराई है। प्रस्तुत पुस्तक में कथक के विकास के विविध चरणों को उसके संरक्षकों के बदलाव के साथ समझने का प्रयास किया गया है। साथ ही कथक नृत्यांगनाओं के अपने अनुभवों को दर्ज करने का प्रयास भी किया गया है। अनुभव जो उनके परिवार से जुड़े हैं, समाज से जुड़े हैं, कथक की दुनिया से जुड़े हैं और स्वयं से जुड़े हैं। महिलाओं का इस क्षेत्र में आना बहुत आसान नहीं रहा है। वह बहुत संघर्ष से कथक के क्षेत्र में आईं और स्वयं को स्थापित किया। अब भी वे संघर्षरत हैं। 'कथक की परंपरा, घराने और स्त्री प्रश्न' पुस्तक में कथक के विकास और उसमें महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है।
Description
Discourse यह पुस्तक कथक नृत्य की परंपरा, विकास और बदलाव को एक स्त्री दृष्टि से देखने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है। कथक एक ऐसा नृत्य रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल रही हैं पर उसमें पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है। बावजूद इसके महिलाओं की एक बड़ी संख्या ने इस नृत्य को बुलंदी पर पहुँचाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका दर्ज कराई है। प्रस्तुत पुस्तक में कथक के विकास के विविध चरणों को उसके संरक्षकों के बदलाव के साथ समझने का प्रयास किया गया है। साथ ही कथक नृत्यांगनाओं के अपने अनुभवों को दर्ज करने का प्रयास भी किया गया है। अनुभव जो उनके परिवार से जुड़े हैं, समाज से जुड़े हैं, कथक की दुनिया से जुड़े हैं और स्वयं से जुड़े हैं। महिलाओं का इस क्षेत्र में आना बहुत आसान नहीं रहा है। वह बहुत संघर्ष से कथक के क्षेत्र में आईं और स्वयं को स्थापित किया। अब भी वे संघर्षरत हैं। 'कथक की परंपरा, घराने और स्त्री प्रश्न' पुस्तक में कथक के विकास और उसमें महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है।

Additional Information
Book Type

Hardbound

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Kathak Ki Parampara, Gharane aur Stree Prashn

Discourse यह पुस्तक कथक नृत्य की परंपरा, विकास और बदलाव को एक स्त्री दृष्टि से देखने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है। कथक एक ऐसा नृत्य रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल रही हैं पर उसमें पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है। बावजूद इसके महिलाओं की एक बड़ी संख्या ने इस नृत्य को बुलंदी पर पहुँचाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका दर्ज कराई है। प्रस्तुत पुस्तक में कथक के विकास के विविध चरणों को उसके संरक्षकों के बदलाव के साथ समझने का प्रयास किया गया है। साथ ही कथक नृत्यांगनाओं के अपने अनुभवों को दर्ज करने का प्रयास भी किया गया है। अनुभव जो उनके परिवार से जुड़े हैं, समाज से जुड़े हैं, कथक की दुनिया से जुड़े हैं और स्वयं से जुड़े हैं। महिलाओं का इस क्षेत्र में आना बहुत आसान नहीं रहा है। वह बहुत संघर्ष से कथक के क्षेत्र में आईं और स्वयं को स्थापित किया। अब भी वे संघर्षरत हैं। 'कथक की परंपरा, घराने और स्त्री प्रश्न' पुस्तक में कथक के विकास और उसमें महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है।