क्रम
1. दो शब्द / नामवर सिंह - V
2. भूमिका - VII
3. विषय प्रवेश : भ्रमण - 13
4. दोषी कौन? - 83
5. सन्दर्भ ग्रन्थों की सूची - 95
बुखेनवाल्ड का यह क्षेत्र ईटर्सबर्ग की सुन्दर पहाड़ियों के बीच स्थित है। सुन्दर पहाड़ियों एवं हरे-भरे जंगलों के बीच यह स्थान वाईमर के निवासियों में बहुत समय पहले से लोकप्रिय था । प्रकृति ने अपना सौन्दर्य यहाँ शान्ति एवं रचनात्मक विचारों के सृजन के लिए बिखेर रखा था। यहाँ के अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य की गोद में बैठकर विख्यात चिन्तक गेटे, शिलर और नीत्शे ने दर्शन, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में अद्वितीय साधनाएँ सम्पन्न कीं । जर्मन साहित्य से जुड़ा, प्राकृतिक सौन्दर्य का धनी यह क्षेत्र आज वीरान - सा पड़ा हुआ है। यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य ने अमानवीयता, क्रूरता और अत्याचार की ऐसी चादर ओढ़ रखी है कि लाखों प्रयत्न करने पर भी सौन्दर्य के मुखड़े तक का साक्षात्कार मानव मन नहीं कर पाता । अमानवीयता और अत्याचार ने यहाँ के सौन्दर्य पर ऐसी गहन कालिख पोत रखी है, ऐसी काली चादर ओढ़ा दी है कि लाख प्रयास करने पर भी उस चादर को खिसका पाना मुश्किल हो जाता है। जैसे-जैसे इस काली चादर को हटाने का उपक्रम कोई करता है वैसे-वैसे उसके सामने परत-दर-परत मानवीय अत्याचारों की कालिमा और गहरी होती जाती है। पूरे वातावरण में अजीब-सी नीरवता है। पूरी प्रकृति यहाँ किंकर्तव्यविमूढ़ नज़र आती है। पेड़, पौधे, पहाड़ियाँ, यहाँ के भवन, यहाँ का निर्माण सबकुछ स्तब्ध है । मानवीय वेदना की उमस एवं सिसक चारों ओर फैली हुई है। यहाँ के पहाड़, जंगल सब सिर झुकाए हुए चिरस्थायी शोकसभा के लिए मौन हो गए हैं। मानव जाति पर हुए वीभत्स अत्याचारों की गवाह यहाँ की ईंट, मिट्टी, पत्थर, पेड़-पौधे, सब शर्म एवं वेदना से बोझिल, स्तब्ध पड़े हुए हैं। सबकुछ अपनी आँखों से देखने के बाद मेरी मनोदशा पथरा-सी गई