फ़ेहरिस्त
1. इश्क़-पंथ - मोहम्मद कुली कुतुब शाह - 16
2. ख़्वाब-ओ-ख़याल मीर तक़ी 'मीर' - 18
3. बंजारा-नामा नज़ीर अकबराबादी - 33
4. मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम अल्ताफ़ हुसैन हाली - 36
5. आम-नामा अकबर इलाहाबादी - 39
6. सुरूर जहानाबादी सुरूर जहानाबादी - 40
7. जिब्रईल-ओ-इब्लीस शेख मोहम्मद इक़बाल - 43
8. वेद 'चकबस्त' ब्रिज नारायण - 45
9. नूरजहाँ का मजार तिलोकचंद 'महरूम' - 47
10. आधी रात फ़िराक़ गोरखपुरी - 50
11. नक़्क़ाद जोश मलीहाबादी - 54
12. पुराने कोट शाद आरिफ़ी - 60
13. अभी तो मैं जवान हूँ हफ़ीज़ जालंधरी - 62
14. लंदन की एक शाम मोहम्मद दीन तासीर - 65
15. शाइर की तमन्ना जमील मजहूरी - 67
16. ऐ इश्क हमें बर्बाद न कर अख़्तर शीरानी - 69
17. इंतिजार मख़दूम मुहिउद्दीन - 74
18. जन-ए-हयात अख़्तर अंसारी - 76
19. भूका बंगाल वामित्र जौनपुरी - 77
20. साज-ए-मुस्तनबिल परवेज शाहिदी - 80
21. जिन्दगी से डरते हो नून. मीम. राशिद - 81
22. आवारा असरारुल हक़ मजाज - 83
23. मुझ से पहली सी मोहब्बत - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ - 86
24. समुंदर का बुलावा मीरा-जी - 88
25. मेरे लिए क्या है कुछ भी नहीं नुशूर वाहिदी - 90
26. मौत - मुईन अहसन जज्बी - 92
27. तू मुझे इतने प्यार से मत देख अली सरदार जाफ़री - 94
28. हयात-ए-रायगाँ - यूसुफ़ ज़फ़र - 95
29. तौसीअ' ए-शहूर मजीद अमजद - 97
30. रौशनियाँ जाँ निसार अख्तर - 98
31. तब क्रय्यूम नजर - 100
32. डासना स्टेशन का मुसाफ़िर अख़्तरुल – ईमान - 101
33. पत्थर अहमद नदीम क़ासमी - 103
34. मकान कैफ़ी आज़मी -105
35. तसलसुल - सलाम मछलीशही -107
36. ताजमहल - साहिर लुधियानवी - 108
37. अहवाल एक सफ़र का अदा जाफ़री - 110
38. बाज़-दीद – मुनीबुर्रहमान - 111
39. कपास का फूल क़मर जमील - 112
40. एतिराफ़ नरेश कुमार शाद - 113
41. मैं गौतम नहीं ख़लीलुर्रहमान आ 'जमी - 115
42. तआरुफ़ राही मासूम रजा - 116
43. गोडो बाक़र मेहदी - 119
44. उबाल अमीक़ हनफ़ी - 121
45. कॉफ़ी हाउस - हबीब जालिब - 122
46. मोहब्बत अब नहीं होगी - मुनीर नियाजी - 123
47. काग़ज़ की नाव बलराज कोमल - 124
48. एक शाम - मुस्तफ़ा जैदी - 125
मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह
(1566-1611)
उर्दू (दकनी) में अपने दीवान संकलित करने वाले पहले शाह र। 1580 में गोलकोंडा की क्रुतुबशाही सल्तनत के बादशाह बने त्योहारों, जानवरों और महलों आदि पर नज्में भी कहीं। हैदराबाद शत्रू भी उन्हीं ने बसाया था।
इश्क-पंथ
दुख-दर्द गया ऐश के दिन आए करो काम
रंग लाल गुलाली चुवे उस मुख थे पियो जाम
जलता सो शमे बज्म-ए-तरब में नको' ल्याक
मय सूर के अंगे हुए सब देवे सो गुमनाम
उश्शान कूँ पिव' याद सूँ मय पीना स्वा" है
उस मुख के अकबाज रवा नई मुंजे आशाम
अत्तार तूं मिजमर" में किता बाएगा अंबर
मुंज" जीव के मिजमर में सदा बास है फ़हम
शुक्कर-फ़रोशाँ करते किता निख" शकर का
निरमोल शकर का लजताँ पाया हमन काम
मुख आयत-ए-तफ़सीर में हिलजे उलमाँ सब
उश्शाक़ सूँ हिलजे हैं तिरे लट के सरक दाम
तुज हुस्न ख़जीन सू मिरे दिल में किया ठाँव
गंजूर" रखन हार कह्या तब मुझे अय्याम
तुज बंदगी थे सब ही बंद्या" में सू बड़ा हूँ
क्या बूझे मुंजे जग में कि मशहूर मिरा नाम
मीर तकी 'मीर'
(1723-1810)
उर्दू के ख़ुदा-ए-सुखन लोकप्रियता ग़जलों ही के कारण मिली लेकिन अपने समय में राइज (प्रचलित)
तक़रीबन हर सिन्फ़ (विधा) जैसे मस्नवी, क्रसीदा, मर्सिया आदि में शाइरी की। फ़ारसी में भी दीवान
मुरत्तिब किया। आगरा में जन्म, लेकिन अधिकतर समय दिल्ली में व्यतीत किया। दिल्ली के उजड़ने पर
लखनऊ का सफ़र किया और वहीं देहांत हुआ।
ख़्वाब-ओ-ख़याल
ख़ुशा' हाल उस का जो मा 'दूम है
कि अहवाल अपना तो मा 'लूम है
रहीं जान-ए-ग़म नाक' को काहिशें
गई दिल से नौमीद सौ ख़्वाहिशें
जमाने ने रक्खा मुझे मुत्तसिल'
परागंद: "- रोजी परागंद:- दिल
गई कब परेशानी-ए-रोजगार
रहा मैं तो हम ताले-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार
वतन में न इक सुबह मैं शाम की
न पहुँची ख़बर मुझ को आराम की
उठाते ही सर ये पड़ा इत्तिफ़ाक़
कि दुश्मन हुए सारे अहल-ए-विफ़ाक़
जलाते थे मुझ पर जो अपना दिमाग़
दिखाने लगे दाग़ बाला-ए-दाग"