Aisa Main Hindu Hoon
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Author | Vishnu Nagar |
Language | Hindi |
Publisher | Sambhavna Prakashan |
Pages | 172 |
ISBN | 978-9382673682 |
Item Weight | 0.2 kg |
Edition | First |
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विष्णु नागर की कविताओं के बारे में
रघुवीर सहाय
दरअसल जिसे सहजता कहते हैं,वह एक कठिन साधना है। चारों तरफ फैले हुए बनावटी सरलीकरण से बचना तो उस साधना का नकारात्मक पक्ष है,उस साधना का केंद्र है एक व्यापक सच्चाई और न्याय के संसार की कल्पना। विष्णु नागर के अनेक तथाकथित छोटे और सहज अनुभव इतने सच्चे न होते, अगर उनकी साधना में कहीं उस कल्पना के संसार के लिए सामाजिक संघर्ष की चेतना न होती।
प्रभात त्रिपाठी
विष्णु नागर हैं तो एक विलक्षण और अद्वितीय कवि। उनकी अद्वितीयता एकदम पहले ही झलक में नजर आने लगती है ।उनके कहने का ढंग या अंदाज एकदम ही अलग है ।शायद यह इस कदर रोचक भी है कि पढ़ने के बाद कुछ पल तो उसकी निर्व्याख्या, प्रतिक्रिया ही बजती रहती है। ...यह गहरी वर्ग चेतना की कविता है और उतनी ही गहरी आत्मचेतना और आत्मालोचना की भी।
विजय कुमार
सपाट तार्किकता, यथार्थ की सतही प्रामाणिकता और निरे तथ्य संकलनों से दूर विष्णु नागर विट, कौतुक, वक्रता, स्थिति- विपर्यय, तिर्यक अंदाज़, अप्रत्याशित के रचाव, सुनिश्चित की बर्खास्तगी, गश्त, उत्खनन, आवर्तन, मितकथन, क्षिप्रता, कसाव और खिलंदड़ेपन के साथ दिये हुए वस्तुजगत के भीतर एक बुनियादी उलटफेर करते हैं और अपनी कविता के लिए 'स्पेस ' निर्मित करते हैं।
रघुवीर सहाय
दरअसल जिसे सहजता कहते हैं,वह एक कठिन साधना है। चारों तरफ फैले हुए बनावटी सरलीकरण से बचना तो उस साधना का नकारात्मक पक्ष है,उस साधना का केंद्र है एक व्यापक सच्चाई और न्याय के संसार की कल्पना। विष्णु नागर के अनेक तथाकथित छोटे और सहज अनुभव इतने सच्चे न होते, अगर उनकी साधना में कहीं उस कल्पना के संसार के लिए सामाजिक संघर्ष की चेतना न होती।
प्रभात त्रिपाठी
विष्णु नागर हैं तो एक विलक्षण और अद्वितीय कवि। उनकी अद्वितीयता एकदम पहले ही झलक में नजर आने लगती है ।उनके कहने का ढंग या अंदाज एकदम ही अलग है ।शायद यह इस कदर रोचक भी है कि पढ़ने के बाद कुछ पल तो उसकी निर्व्याख्या, प्रतिक्रिया ही बजती रहती है। ...यह गहरी वर्ग चेतना की कविता है और उतनी ही गहरी आत्मचेतना और आत्मालोचना की भी।
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