Yug Nirmata Maharaja Surajmal
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| Item Weight | 400 Grams |
| ISBN | - :9788186103046 |
| Language | Hindi |
| Publisher | Rajasthani Granthagar |
| Pages | NA |
| Book Type | Paperback |
| Publishing year | 2015 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Yug Nirmata Maharaja Surajmal
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युग निर्माता महाराजा सूरजमल : महाराजा सूरजमल अठारहवीं सदी के महान योद्धा थे। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ जब उत्तर भारत की राजनीति जबर्दस्त हिचकोले खा रही थी तथा देश विनाशकारी शक्तियों द्वारा जकड़ लिया गया था। नादिरशाह तथा अहमदशाह अब्दाली ने उत्तर भारत में बहुत बड़ी संख्या में मनुष्यों तथा पशुओं को मार डाला और तीर्थों तथा मंदिरों को नष्ट कर दिया। देश पर चढ़कर आने वाले आक्रांताओं को रोकने वाला कोई नहीं था। उस काल में उत्तर भारत के शक्तिशाली राजपूत राज्य, मराठों की दाढ़ में पिसकर छटपटा रहे थे। होलकर, सिंधिया, गायकवाड़ और भौंसले, उत्तर भारत के गांवों को नौंच-नौंच कर खा रहे थे। जब एक मराठा सरदार चौथ और सरदेशमुखी लेकर जा चुका होता था तब दूसरा आ धमकता था। बड़े-बड़े महाराजाओं से लेकर छोटे जमींदारों की बुरी स्थिति थी। जाट और मराठे निर्भय होकर भारत की राजधानी दिल्ली के महलों को लूटते थे। जब शासकों की यह दुर्दशा थी तब जन-साधारण की रक्षा भला कौन करता! भारत की आत्मा करुण क्रंदन कर रही थी।चोरों ओर मची लूट-खसोट के कारण जन-जीवन की प्रत्येक गतिविधि- कृषि, पशुपालन, कुटीर धंधे, व्यापार, शिक्षण, यजन एवं दान ठप्प हो चुके थे। शिल्पकारों, संगीतकारों, चित्रकारों, नृतकों और विविध कलाओं की आराधना करने वाले कलाकार भिखारी होकर गलियों में भीख मांगते फिरते थे। निर्धनों, असहायों, बीमारों, वृद्धों, स्त्रियों और बच्चों की सुधि लेने वाला कोई नहीं था। ऐसे घनघोर तिमिर में महाराजा सूरजमल का जन्म उत्तर भारत के इतिहास की एक अद्भुत घटना थी। उन्होंने हजारों शिल्पियों एवं श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया। ब्रजभूमि को उसका क्षीण हो चुका गौरव लौटाया। गंगा-यमुना के हरे-भरे क्षेत्रों से रूहेलों, बलूचों तथा अफगानियों का खदेड़कर किसानों को उनकी धरती वापस दिलवाई तथा हर तरह से उजड़ चुकी बृज भूमि को धान के कटोरे में बदल लिया। उन्होंने मुगलों और दुर्दान्त विदेशी आक्रान्ताओं को भारतीय शक्ति से परिचय कराया तथा चम्बल से लेकर यमुना तक के विशाल क्षेत्रों का स्वामी बन कर प्रजा को अभयदान दिया। इस लघु पुस्तिका में महाराजा सूरजमल के उसी अवदान को भारत की युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।RelatedTRUE
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