YAH NADI KHAMOSH HAI (GHAZAL)
Language | Hindi |
Publisher | Bodhi Prakashan |
Pages | - |
ISBN | NA |
Item Weight | 0.4 kg |
Dimensions | NA |
Edition | 1st |
YAH NADI KHAMOSH HAI (GHAZAL)
ग़ज़ल का स्वरूप जि़न्दगी की मानिंद बहुरंगी, बहुआयामी और बहुउद्देश्यीय होता है। मतले से मक़ते तक स्वच्छंद किन्तु लयबद्ध, अनिश्चित किन्तु उम्मीदबर। आश्चर्य तो ये है कि ज़िंदगी की तरह ग़ज़ल ने भी समय के साथ अपना चेहरा बदला है, स्वभाव बदला है और अपना सौन्दर्यशास्त्र भी बदला है। समकालीन ग़ज़ल परिदृश्य में हिन्दी ग़ज़ल ने अपना नया सौन्दर्य शास्त्र रचा है। नए भाव, नए विचार और नई बिम्ब धर्मिता ने हिन्दी ग़ज़ल का चेहरा साफ़ और आकर्षक बना दिया है। पिछले पचास साल की अपनी विकास यात्रा में हिन्दी ग़ज़ल ने समकालीन जीवन के नए-नए अक्स चित्रित किए हैं। प्रेम और संघर्ष कविता की तुला के दो पलड़े हैं, इनमें पासंग नहीं होता। कवि शब्दों के बाँट रखकर अपनी अभिव्यक्ति को तौलता रहता है... सही तौल ही रचना को अर्थवान बनाती है। हिन्दी कविता में हिन्दी ग़ज़ल ने यह अर्थपूर्ण भूमिका सफलता से निभाई है। 'यह नदी ख़ामोश है' में इक्कीसवीं सदी की दुनिया का हाल-चाल है ...इनमें आपको एक नया आस्वाद मिलेगा ... -हरेराम समीप
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