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Yaad Aate Hain
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याद आते हैं वे कुम्हार, जिन्होंने इस मिट्टी के घड़े को आकार दिया।याद आते हैं, हिंदी के सबसे पुरानी विधा संस्मरण-साहित्य को नई ताजगी से भरनेवाले सच्चे संस्मरणों के 'मोती' । आज जब संस्मरणों के नाम पर जिंदा-मृतक लोगों के 'पोस्टमार्टम' की होड़ लगी है, जिन पर संस्मरण लिख रहे, उनके अवगुण को गुणा जा रहा है। संस्मरण-साहित्य का काम है समाज को सच्चे उजले स्वस्थ सकारात्मक प्रेरणा-पुंज मिलें। सच लिखें तो जिंदा लोगों के सम्मुख लिखें। राजशेखर व्यास जन्मना यायावर, सुमन, बच्चन, महादेवी वर्मा, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, शंकर दयाल शर्मा से लेकर कमलेश्‍वर, कलाम तक से उनकी वय में कम ही लोगों का सहज स्नेह संपर्क होता है। जो देखा, जैसा देखा, वैसा लिखा। राजशेखर व्यास की यह सहज शैली ही उन्हें संस्मरण लेखक पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश' , बनारसी दास चतुर्वेदी, पं. सूर्यनारायण व्यास, शिव वर्मा, यशपाल से लेकर रवींद्र कालिया के साथ खड़ा कर देती है। राजेंद्र यादव, कांती कुमार जैन से साफ, सच्चे किस्सागो। राजशेखर भारतीय ज्ञानपीठ से अपने पिता की 'यादें' ला चुके हैं; 'टूट रहा अमेरिका' के यात्रा संस्मरण भी खूब लोकप्रिय हुए हैं। उग्र हृदय, व्यास, सुभाष, विक्रम, भगत सिंह, कालिदास, भगवतशर�� उपाध्याय से लेकर प्रभाष जोशी तक पर अपने विलक्षण कार्यों के लिए मशहूर राजशेखर व्यास के ये रोचक किस्से 'याद आते हैं' भी सदैव याद रहेंगे!________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमणिका1. अजातशत्रु (गुलिया दाई के मुहल्ले से राष्ट्रपति भवन के गलियारे तक) —Pgs. 92. अलविदा कॉमरेड कमलेश्वर —Pgs. 163. ऐसे मत जाओ गंगा बाबू —Pgs. 224. खो गया है भीमबेटका का खोजी —Pgs. 265. अजब-गजब थे अपने रामा दादा —Pgs. 306. वे तांत्रिक तो थे मगर यांत्रिक नहीं —Pgs. 337. ऊर्जा : जो अव्यत रह गई —Pgs. 378. और इस 'सुमन' की सुध कौन लेगा? —Pgs. 419. जीवन ही गद्य-काव्य रहा —Pgs. 4410. हृदय की बात —Pgs. 5211. मालवा का विस्मृत महाकवि 'हृदय' —Pgs. 6312. उग्र : एक इंद्रधनुषी व्यतित्व —Pgs. 7013. निराला ने न दहेज लिया, न दिया —Pgs. 8414. एकपत्र जिसने शहर बनाया —Pgs. 8515. वह अनोखा अभिनंदन ग्रंथ —Pgs. 8916. ऐसे थे महादेवीजी के भैया निरालाजी —Pgs. 9717. इंदिरा प्रियदर्शनी —Pgs. 9918. उनकी सत्यनिष्ठा अनुकरणीय —Pgs. 10119. यह संस्मरण नहीं मरण है! —Pgs. 10520. महादेवी महान् देवी —Pgs. 10921. पत्रों के झरोखे से बच्चन —Pgs. 11522. महानायक : दोहरा चरित्र —Pgs. 12123. व्यायाता : कवि —Pgs. 12724. सत्यं शिवं सुंदरम् के संपूर्ण व्यास : श्यामसुंदर व्यास —Pgs. 13125. सिनेमा संसार और व्यास —Pgs. 13426. पत्रकार व्यासजी —Pgs. 14427. मेरी दृष्टि में मेरे पिताजी —Pgs. 15228. विजय मिली मगर विजय चले गए —Pgs. 15929. ओशो मरता नहीं, ओशो मरते नहीं! —Pgs. 16230. गांधी योर फादर —Pgs. 16731. लता पुरस्कार —Pgs. सुलगते सवाल —Pgs. 17432. आत्महत्या के लिए भी आत्मा चाहिए, जनाब! —Pgs. 17733. प्रभाष जोशी : एक बहाव बगैर पड़ाव —Pgs. 18034. ज्योतिष जगत् के सूर्य —Pgs. 19335. व्यासजी और व्यंग्य —Pgs. 20336. पत्रकारिता के प्रतीक पुरुष —Pgs. 21437. हम बी.बी.सी. से बोल रहे हैं! —Pgs. 21738. कलाम का भविष्य, भविष्य के कलाम —Pgs. 22339. या चीन भारत का दोस्त है? —Pgs. 22940. पत्रों में झाँकते सुमन —Pgs. 23641. बापू का दाँत —Pgs. 240

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