Vidhi Aur Nyayik Prakriya
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    | Item Weight | 400 Grams | 
| ISBN | 978-9384168148 | 
| Author | Surendra Singh, Sunil Aasopa, S.P. Meena | 
| Language | Hindi | 
| Publisher | Rajasthani Granthagar | 
| Pages | NA | 
| Book Type | Paperback | 
| Publishing year | 2017 | 
| Return Policy | 5 days Return and Exchange | 
 
  
  
Vidhi Aur Nyayik Prakriya
            Product description
          
        
        
          
          
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                     विधि और न्यायिक प्रक्रिया : न्यायालयों की अधिनस्थता एवं न्यायिक प्रक्रिया 8211; माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णित किए गए मामलों को एक विधि के रूप में स्वीकार करना होता हैं अर्थात् देश के समस्त न्यायालय उसका पालन करेंगे क्योंकि उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित भारत राज्य क्षेत्र के भीतर सभी न्यायालयों पर आबद्ध कर है। वहीं भारत के राज्य क्षेत्र में स्थित सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी इस न्यायालय की सहायता में कार्य करते हैं। उच्चतम न्यायालय भारत के किसी भी न्यायालय प्राधिकरण द्वारा किसी वाद या मामले में पारित किए गए या दिए गए किसी निर्णय, डिक्री, अवधारणा, दण्डादेश या आदेश के विरुद्ध अपील के लिए विशेष इजाजत दे सकता है। इसी भांति उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति के अनुमोदन से न्यायालय की पद्धति और प्रक्रिया के विनियमन के लिए नियम बनाने की शक्ति संविधान से प्राप्त है। वहीं सिविल मामलों में अपील संविधान के अनुच्छेद 132 या 133 के तहत माननीय उच्चतम न्यायालय को की जाती है।जहां न्याययिक प्रक्रिया के तहत अनुच्छेद 141 के अन्तर्गत माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित विधि देश के सभी न्यायालयों पर आबद्धारी है। वही रमेश कुमार बनाम दिल्ली उच्च न्यायालय व अन्य के मामलों में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि साक्षात्कार में प्रक्रिया के तहत निर्धारित किए गए न्यूतनम अंकों को प्राप्त करना कोई संवैधानिक आवश्यकता नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ऑल इण्डिया जज एसोसियेशन व अन्य में दिए गए निर्णय की पालना सुनिश्चित करें, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस सेठी कमीशन की रिपोर्ट को स्वीकार किया तथा कहा कि सेठी कमीशन रिपोर्ट में चयन हेतु साक्षात्कार में न्यूनतम अंक अर्जित करने की कोई अनिवार्यता नहीं रखी गयी है। वहां पर चयन का मुख्य आधार लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार दोनों के अंक मिलाकर मेरिट के आधार पर चयन की अभिशंषा की गयी है न कि केवल साक्षात्कार को आधार मान कर। उक्त पुस्तक विधि स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में विशेष रूप से न्यायिक प्रक्रिया नामक प्रश्न पत्र के लिए महत्त्वपूर्ण सामग्री का संकलन प्रस्तुत किया गया है।RelatedTRUE
                                     
                      
                  
                      
                    
                  
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