Ugta Sooraj
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Author | Anshuman Sharma Siddhap |
Language | Hindi |
Publisher | Rajmangal Publishers (Rajmangal Prakashan) |
Pages | 141 |
ISBN | 978-9390894291 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
Dimensions | 28*18*4 |
Edition | 1st |
Ugta Sooraj
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यह कहानी उसी ‘उगता सूरज’ संस्था के खत्म होने की है। पंडित अम्बाप्रसाद भार्गव के नेतृत्व में 'उगता सूरज' संस्था ने हजारों जीवन सँवारें थे लेकिन अदालत के एक फैसले के चलते पंडित अम्बाप्रसाद को जेल भेज दिया गया संस्था को तबाह कर दिया गया विद्यालय एवं महाविद्यालय की इमारतों ढहा दिया गया और इस फैसले के चलते शहर में युवाओं ने बवाल मचा दिया पुलिस की गाड़ियों को आँग के हवाले कर दिया हर और तोड़ फोड़ मचा था। समाज सेवा करने के दंड स्वरूप पंडित अम्बाप्रसाद के घर का नीलाम होना तय था। पंडित अम्बाप्रसाद को समाजसेवा के बदले जो सजा मिली थी तब उसे देख लोगों का भलाई से भरोसा ही उठ गया था। पंडित अम्बाप्रसाद भार्गव ईश्वर से अपनी ही मृत्यु माँग कर रहे थे। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि इसके बाद की कहानी तो दिल को हिला कर रख देगी।//लेखक अंशुमान शर्मा ‘सिद्धप’ गाँव मालिया खेर खेड़ा जिला मंदसौर (म. प्र.) के रहने वाले हैं। अपने पिता सुधीर शर्मा (व्याख्याता इतिहास ) को अपना आदर्श मानते हैं। इन्हें साहित्य के अलावा कर्मकांड में विशेष रुचि हैं। आपको बचपन से ही कविताएँ लिखने का शौक था। 14 वर्ष की आयु में लेखक ने अपना पहला उपन्यास "अहसान" लिखा जो कि अब तक अप्रकाशित है। इन्होंने भौतिक विज्ञान से मास्टर डिग्री हासिल की हैं। आप एक दफ़े NETJRF (hysical science ) की तैयारी करने क्वांटा इंस्टिट्यूट जयपुर (राज.) गए थे उस दरमियान वहाँ हिंदी दिवस पर कोचिंग के डायरेक्टर वीरू सर ने इन्हें मंच पर बुलाया और सबसे परिचित करवाया कि यह एक लेखक हैं। वीरू सर ने इन्हें कविता संग्रह और उपन्यास को प्रकाशित करवाने को लेकर सवाल किया तो इनका जवाब था कि "कभी सोचा ही नहीं सर"। वीरू सर की प्रेरणा के बाद अब इन्होंने प्रकाशन की और रुख किया। अब इनका पहला उपन्यास "उगता सूरज " प्रकाशित हुआ। वर्तमान में भी खाली समय हो या सफर का समय या फिर किसी के इंतजार का समय बस लिखना चालू हो जाते हैं और अपने मन में उठने वाले विचारों को कागज पर उतारते हैं।/
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