Rs. 750.00
साहित्य अपने रचना-विधान में लोकतान्त्रिक होता है। जिस रचना में अपने समय और समाज के प्रति जितनी ही प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है, वह रचना लम्बे समय तक पढ़ी जाती है और उसकी सांस्कृतिक भूमि उतनी ही मानवीय मूल्यबोध को अपने में आत्मसात करती है। गोस्वामी तुलसीदास का साहित्य इसका प्रमाण... Read More
Color | Black |
---|