संग्राम (Sangram)
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Author | ????????? (Premchand) |
Language | Hindi |
Publisher | Gyan Books |
Pages | 204 p |
ISBN | 978-8121265645 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.0 kg |
Dimensions | 25 X 15 X 5 |
संग्राम (Sangram)
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पुस्तक के बारे में -ः ‘संग्राम’ प्रेमचंद द्वारा लिखित नाटक है। प्रेमचन्द मूलतः कथाकार थे, लेकिन उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे हैं, संग्राम नाटक में प्रेमचंद ने पहली बार और शायद आखिरी बार गीतात्मक शैली का इस्तेमाल किया है। प्रेमचंद ने प्रयोग के तौर पर इस शैली का इस्तेमाल किया है। नाटक की मूल भूमि सामंती परिवेश और हमारा समाज है। जहाँ सामंतों की ज्यादती और मजदूर-किसान की लाचारी है। नाटक में प्रेम की नाटकीयता भी दिखाई गई है और यहीं नाटकीयता पूरे नाटक को एक मुकाम तक पहुँचाती है। इस प्रेम में मन की शुद्धता नहीं, यह कुंठित विचार हैं, जो आचरण के छल से पैदा होते हैं। प्रेमचंद ने अपनी पूरी कथा-यात्रा में स्त्री-चरित्र को सशक्त और धर्म-रक्षक बनाया है। इस नाटक की नायिका भी बड़ी सावधानी से अपने धर्म की लाज रखती है। इस नाटक में सामंती समाज का एक सकारात्मक चेहरा भी उजागर किया गया है। नाटक में नायक और नायिका दोनों अधर्म और कुरीति के मार्ग पर उतरते हैं लेकिन लेखक ने बड़ी सफाई ने दोनों को बचाया है। दोनों का धर्म बचा रहता है। मजदूर चेतना, किसान चेतना को सचेत रुप से प्रस्तुत किया गया है। २० वीं शताब्दी के तीसरे-चौथे दशक के समाज की यथार्थ परक झांकी इस नाटक के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। लेखक के बारे में -ः धनपत राय श्रीवास्तव (1880 -1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। 1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शाेन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को ‘प्रेमचंद युग’ कहा जाता है। The Title 'संग्राम (Sangram) written/authored/edited by प्रेमचन्द (Premchand)', published in the year 2022. The ISBN 9788121265645 is assigned to the Hardcover version of this title. This book has total of pp. 204 (Pages). The publisher of this title is Gyan Publishing House. This Book is in Hindi. The subject of this book is Drama. Size of the book is 14.34 x 22.59 cms Vol:-
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