SmritiShesh : Smaran Ka SamajVigyan
Item Weight | 600GM |
ISBN | 978-9355183590 |
Author | Edited By Naresh Goswami |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 472 |
Book Type | Hardbound |
Dimensions | 22\"x14\" |
Edition | 1st |

SmritiShesh : Smaran Ka SamajVigyan
स्मृति-शेष स्मरण का समाज-विज्ञान - ज्ञान के किसी भी अनुशासन में पूर्वपक्ष / परम्पराओं, परिप्रेक्ष्य और प्रस्थापनाओं का स्मरण करना उसके स्थापित दायरों का विस्तार करना भी होता है। जिस तरह समाज की विभिन्न संस्थाएँ विगत और समकालीनता के द्वंद्व और संवाद के ज़रिये अपना उत्तर जीवन सुनिश्चित करती है, उसी तरह विमर्श का लोक भी अपने मूर्धन्यों का स्मरण करके अपना नवीकरण करता रहता है। प्रकारांतर से, अपने क्षेत्र के अग्रणी और नवोन्मेषी विद्वानों का यह स्मरण एक काल-खण्ड में सृजित ज्ञान को अग्रसारित करता है। इस ज्ञान को सामूहिक स्मृति के रूप में संसाधित करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि एक समय के बाद पठन-पाठन की प्रक्रिया से छनकर विचार और चिंतन की यही निष्पत्तियाँ ज्ञानोत्पादन के आगामी साँचे का निर्माण करती हैं। ऐसे स्मरण से संबंधित व्यक्तित्व की बृहत्तर भूमिका उद्भासित होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यहाँ स्मृति का आशय निजी स्मृति से न होकर सामाजिक बौद्धिक स्मृति से है। इसीलिए यहाँ जन्म, शिक्षा, उपलब्धि और मृत्यु जैसे उल्लेखनीय ब्योरे तो आते हैं लेकिन स्मृति के लेखाकार का ज़ोर दिवंगत के वैचारिक सैद्धांतिक अवदान पर रहता है। इस मायने में यह किताब दिवंगतों का 'पुण्य' स्मरण नहीं, उनका वैचारिक स्मरण है।
Title: Smriti-Shesh : Smaran Ka Samaj-Vigyan | स्मृति-शेष स्मरण का समाज-विज्ञान
Author: Edited By Naresh Goswami | नरेश गोस्वामी द्वारा संपादित
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