Smriti Pankh
| Item Weight | 252 Grams |
| ISBN | 978-9380183442 |
| Author | Ramashankar Sharma |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2011 |
| Edition | 2011 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Smriti Pankh
21 वीं सदी में स्वाध्याय का चाव, पठन-पाठन का गुण दुर्लभ हो चला है। समय परिवर्तन के पंख लगाकर तीव्र गति से उड़ता जा रहा है। पत्रकारिता कब मिशन और स्वयं सेवा (वालंटियर) से विशुद्ध व्यवसाय में परिवर्तित हो गई, पता नहीं चला।आज का पत्रकार सबूत के बगैर एक लाइन नहीं लिख सकता। उसमें साहस का घोर अभाव है। जोखिम उठाने से वह डरता है। जोखिम और साहस के बिना पत्रकारिता व्यर्थ है।आज के अखबार अपराध बुलेटिन बनकर रह गए हैं। अपराध और राजनीति की खबरें अखबार की आय और प्रसार का साधन बन गई हैं।पत्रकारिता की पढ़ाई आज की पत्रकारिता से भी बुरी है। पत्रकारिता में दीक्षित और तकनीकियों से अनभिज्ञ गैर-पेशेवर लोग पत्रकारिता पढ़ा रहे हैं। कवि, लेखक, पत्रकार, उपन्यासकार आदि शिक्षण संस्थानों में ढाले नहीं जा सकते। ये लोग कहीं से भी पत्रकारिता के विशेषज्ञ नहीं हैं।समाज में पत्रकार की स्थिति एक जनप्रतिनिधि और एक न्यायधीश से भी श्रेष्ठ और ऊँची होती है।प्रस्तुत पुस्तक में प्रसिद्ध पत्रकार रमाशंकर शर्मा ने अपने चार दशकों के पत्रकारिता जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को बड़ी बेबाकी से प्रस्तुत किया है।पत्रकार और पत्रकारिता के विद्यार्थी ही नहीं, सामान्य पाठकों के लिए भी एक उपयोगी एवं ज्ञानपरक पुस्तक।
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