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Siddhartha - Ek Tyag Gatha

Dr. Devendra Kumar

Rs. 249 Rs. 240

पृथयानी राज्य उत्तर में हिमालय और अन्य दिशाओं में सागर से घिरा हुआ भूखंड है। राज्य की राजधानी का नाम कर्मावती है। पृथयानी राज्य काकरण राज्य के अधीन है और पृथयानी राजन अपने राज लोभ के कारण अधीनता को चुनौती नहीं देते हैं। पृथयानी राज्य रूपवान युवतियाँ, स्वर्ण, अनाज हर... Read More

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पृथयानी राज्य उत्तर में हिमालय और अन्य दिशाओं में सागर से घिरा हुआ भूखंड है। राज्य की राजधानी का नाम कर्मावती है। पृथयानी राज्य काकरण राज्य के अधीन है और पृथयानी राजन अपने राज लोभ के कारण अधीनता को चुनौती नहीं देते हैं। पृथयानी राज्य रूपवान युवतियाँ, स्वर्ण, अनाज हर वर्ष काकरणों को समर्पित करते हैं ताकि काकरण उन पर कभी भी आक्रमण न करें और उनके राजसुखों में ग्रहण न लगे। इस प्रथा को बलिदानम को नाम दिया गया है और कहानी के पहले भाग ‘बलिदानम एक राजगाथा’ में इस स्थिति के बारे में बताया गया है।

त्रिशला कबीले की प्रमुख मैत्रयी इस प्रथा के विरुद्ध चुनौती देती है और पृथयानी राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर देती है। युवराज रुद्रा पृथयानी के कर्त्तव्य पारायण युवराज हैं जो प्रजा को उनके मौलिक अधिकार देने के पक्षधर हैं। जो कोई व्यक्ति इस धरा पर और आकाश तले रहता है, जो वायु और जल का सेवन करता है, उनके अधिकार बराबर होंगे – रुद्रा इस बात को क्रियान्वित करना चाहता है। युवराज रुद्रा त्रिशला कबीले से शांति वार्ता के लिए जाते हैं। युवराज रुद्रा को बलिदानम कुप्रथा के बारे में ज्ञात होता है जिसे सुनकर वो व्यथित हो जाते हैं। वो प्रजा को इस प्रथा को समाप्त करने का वचन देते हैं और पृथयानी राजभवन में काकरणों से युद्ध का प्रस्ताव रखते हैं जिसे राजन अश्रवण अस्वीकार कर देते हैं। पृथयानी राजदरवारियों को अपने राजसुख छीनने का भय महसूस होता है जिस कारण वो गहरा षड्यंत्र करते हैं और रुद्रा को पृथयानी राज्य से निष्काषित कर दिया जाता है। मैत्रयी भी इस युद्ध में पराजित होकर काकरणों की दासी बन जाती है। सिद्धार्थ एक त्याग गाथा – यह उपन्यास इसी कहानी को आगे बढ़ाता है।

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युवा हिन्दी लेखक मनु सौंखला हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं। इन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर, हिमाचल  (NIT - National Institute of Technology, Hamirpur, Himachal Pradesh, India) से स्नातक (B.Tech) की शिक्षा हासिल की है। तत्पश्चात् मनु सौंखला जी सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सैक्टर) की एक ऑइल कम्पनी में कार्यरत हैं। मनु जी अपने सामाजिक लेखन और समाज में फ़ैली अव्यवस्थाओं के ख़िलाफ़ लिखने के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक इनकी चौथी हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाली पुस्तक है। इससे पहले "रिज़र्व्ड वन वॉन", बलिदानम् एवं  नमस्ते नामक उपन्यास लिख चुके हैं जो प्रमुख ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध है।

Description

पृथयानी राज्य उत्तर में हिमालय और अन्य दिशाओं में सागर से घिरा हुआ भूखंड है। राज्य की राजधानी का नाम कर्मावती है। पृथयानी राज्य काकरण राज्य के अधीन है और पृथयानी राजन अपने राज लोभ के कारण अधीनता को चुनौती नहीं देते हैं। पृथयानी राज्य रूपवान युवतियाँ, स्वर्ण, अनाज हर वर्ष काकरणों को समर्पित करते हैं ताकि काकरण उन पर कभी भी आक्रमण न करें और उनके राजसुखों में ग्रहण न लगे। इस प्रथा को बलिदानम को नाम दिया गया है और कहानी के पहले भाग ‘बलिदानम एक राजगाथा’ में इस स्थिति के बारे में बताया गया है।

त्रिशला कबीले की प्रमुख मैत्रयी इस प्रथा के विरुद्ध चुनौती देती है और पृथयानी राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर देती है। युवराज रुद्रा पृथयानी के कर्त्तव्य पारायण युवराज हैं जो प्रजा को उनके मौलिक अधिकार देने के पक्षधर हैं। जो कोई व्यक्ति इस धरा पर और आकाश तले रहता है, जो वायु और जल का सेवन करता है, उनके अधिकार बराबर होंगे – रुद्रा इस बात को क्रियान्वित करना चाहता है। युवराज रुद्रा त्रिशला कबीले से शांति वार्ता के लिए जाते हैं। युवराज रुद्रा को बलिदानम कुप्रथा के बारे में ज्ञात होता है जिसे सुनकर वो व्यथित हो जाते हैं। वो प्रजा को इस प्रथा को समाप्त करने का वचन देते हैं और पृथयानी राजभवन में काकरणों से युद्ध का प्रस्ताव रखते हैं जिसे राजन अश्रवण अस्वीकार कर देते हैं। पृथयानी राजदरवारियों को अपने राजसुख छीनने का भय महसूस होता है जिस कारण वो गहरा षड्यंत्र करते हैं और रुद्रा को पृथयानी राज्य से निष्काषित कर दिया जाता है। मैत्रयी भी इस युद्ध में पराजित होकर काकरणों की दासी बन जाती है। सिद्धार्थ एक त्याग गाथा – यह उपन्यास इसी कहानी को आगे बढ़ाता है।

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युवा हिन्दी लेखक मनु सौंखला हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं। इन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर, हिमाचल  (NIT - National Institute of Technology, Hamirpur, Himachal Pradesh, India) से स्नातक (B.Tech) की शिक्षा हासिल की है। तत्पश्चात् मनु सौंखला जी सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सैक्टर) की एक ऑइल कम्पनी में कार्यरत हैं। मनु जी अपने सामाजिक लेखन और समाज में फ़ैली अव्यवस्थाओं के ख़िलाफ़ लिखने के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक इनकी चौथी हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाली पुस्तक है। इससे पहले "रिज़र्व्ड वन वॉन", बलिदानम् एवं  नमस्ते नामक उपन्यास लिख चुके हैं जो प्रमुख ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध है।

Additional Information
Title

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Publisher Rajmangal Prakashan
Language Hindi
ISBN 9789394920965
Pages 171
Publishing Year 2023

Siddhartha - Ek Tyag Gatha

पृथयानी राज्य उत्तर में हिमालय और अन्य दिशाओं में सागर से घिरा हुआ भूखंड है। राज्य की राजधानी का नाम कर्मावती है। पृथयानी राज्य काकरण राज्य के अधीन है और पृथयानी राजन अपने राज लोभ के कारण अधीनता को चुनौती नहीं देते हैं। पृथयानी राज्य रूपवान युवतियाँ, स्वर्ण, अनाज हर वर्ष काकरणों को समर्पित करते हैं ताकि काकरण उन पर कभी भी आक्रमण न करें और उनके राजसुखों में ग्रहण न लगे। इस प्रथा को बलिदानम को नाम दिया गया है और कहानी के पहले भाग ‘बलिदानम एक राजगाथा’ में इस स्थिति के बारे में बताया गया है।

त्रिशला कबीले की प्रमुख मैत्रयी इस प्रथा के विरुद्ध चुनौती देती है और पृथयानी राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर देती है। युवराज रुद्रा पृथयानी के कर्त्तव्य पारायण युवराज हैं जो प्रजा को उनके मौलिक अधिकार देने के पक्षधर हैं। जो कोई व्यक्ति इस धरा पर और आकाश तले रहता है, जो वायु और जल का सेवन करता है, उनके अधिकार बराबर होंगे – रुद्रा इस बात को क्रियान्वित करना चाहता है। युवराज रुद्रा त्रिशला कबीले से शांति वार्ता के लिए जाते हैं। युवराज रुद्रा को बलिदानम कुप्रथा के बारे में ज्ञात होता है जिसे सुनकर वो व्यथित हो जाते हैं। वो प्रजा को इस प्रथा को समाप्त करने का वचन देते हैं और पृथयानी राजभवन में काकरणों से युद्ध का प्रस्ताव रखते हैं जिसे राजन अश्रवण अस्वीकार कर देते हैं। पृथयानी राजदरवारियों को अपने राजसुख छीनने का भय महसूस होता है जिस कारण वो गहरा षड्यंत्र करते हैं और रुद्रा को पृथयानी राज्य से निष्काषित कर दिया जाता है। मैत्रयी भी इस युद्ध में पराजित होकर काकरणों की दासी बन जाती है। सिद्धार्थ एक त्याग गाथा – यह उपन्यास इसी कहानी को आगे बढ़ाता है।

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युवा हिन्दी लेखक मनु सौंखला हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं। इन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर, हिमाचल  (NIT - National Institute of Technology, Hamirpur, Himachal Pradesh, India) से स्नातक (B.Tech) की शिक्षा हासिल की है। तत्पश्चात् मनु सौंखला जी सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सैक्टर) की एक ऑइल कम्पनी में कार्यरत हैं। मनु जी अपने सामाजिक लेखन और समाज में फ़ैली अव्यवस्थाओं के ख़िलाफ़ लिखने के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक इनकी चौथी हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाली पुस्तक है। इससे पहले "रिज़र्व्ड वन वॉन", बलिदानम् एवं  नमस्ते नामक उपन्यास लिख चुके हैं जो प्रमुख ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध है।