Shyam Ki Maa
Author | Sane Guruji |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351863267 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.144 kg |
Edition | 1st |
Shyam Ki Maa
वर्ष 1950-60 के दशक में भारत की जिस पीढ़ी ने अपनी उम्र का पहला डेढ़ दशक पूरा किया था, उनमें से आज का कोई वरिष्ठ नागरिक ऐसा नहीं होगा, जिसने बचपन में साने गुरुजी की मराठी में लिखी 'श्यामची आई' पुस्तक पढ़ी नहीं होगी। साने गुरुजी के 'श्यामची आई'और 'मीरी' जैसे मराठी में लिखे उपन्यास पढ़कर जिसकी आँखें नम न हुई हों, ऐसे व्यक्ति कम ही होंगे। बेहद सरल, मार्मिक, दिल को छू लेनेवाली भाषा साने गुरुजी की विशेषता है।कहा जा सकता है कि माँ की प्रेममय और महान् सीख का सरल, सहज और सुंदर शब्दों में किया गया चित्रण, हमारी संस्कृति का एक अनुपमेय कथात्मक चित्र, एक कारुणिक कथावस्तु यानी 'श्याम की माँ'! खुद गुरुजी कहते हैं कि मन का पूरा अपनापन मैंने इस कथा में उडे़ला है। ये कहानियाँ लिखते हुए सौ बार मेरी आँखें नम हुईं। दिल भर आया। मेरे हृदय में माँ के बारे में जो अपार प्रेम, भक्ति और कृतज्ञता का भाव है, वह 'श्याम की माँ' पढ़कर अगर पाठकों के मन में भी उत्पन्न हो तो कहा जा स���ता है कि यह कृति लिखना सार्थक हुआ।अपने बच्चों से अपार प्रेम करनेवाली, वे सुंसस्कारी बनें, इसलिए जी-जान से कोशिश करनेवाली, लेकिन संस्कारों की अमिट छाप उपदेश रूपी दवा की खुराक के रूप में नहीं, बल्कि अपने बरताव से और रोजमर्रा के छोटे-छोटे प्रसंगों के जरिए बच्चों के मन पर छोड़नेवाली, अनुशासन का महत्त्च बताते हुए प्रसंगानुसार कठोर बननेवाली यह आदर्श माँ आज की उदयोन्मुख पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् उनके माता-पिता के लिए भी निश्चित रूप से प्रेरक साबित होगी।______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम भूमिका — 9 साने गुरुजी का परिचय — 13 गुरुजी का साहित्य — 17 आंतर-भारती — 19प्रारंभ — 23पहली रात : सावित्री-व्रत — 28दूसरी रात : अका की शादी — 35तीसरी रात : अनखिले फूल — 41चौथी रात : पुण्यात्मा यशवंत — 45पाँचवीं रात : मथुरी — 48छठी रात : महिमामय आँसू — 52सातवीं रात : पाल — 54आठवीं रात : क्षमा प्रार्थना — 58नौवीं रात : मोरी गाय — 64दसवीं रात : पर्णकुटी — 67ग्यारहवीं रात : भूत दया — 71बारहवीं रात : श्याम की तैराकी — 75तेरहवीं रात : स्वाभिमान की रक्षा — 80चौदहवीं रात : श्रीखंड की कतलियाँ — 84पंद्रहवीं रात : रघुपति राघव राजा राम — 89सोलहवीं रात : तीर्थ-यात्रा के लिए पलायन — 94सत्रहवीं रात : आत्मनिर्भरता की सीख — 100अठारहवीं रात : अलोनी सजी — 105उन्नीसवीं रात : पुनर्जन्म — 109बीसवीं रात : साविक प्रेम की भूख — 114इकीसवीं रात : दूबवाली दादी — 125बाईसवीं रात : आनंदमय दीवाली — 130तेईसवीं रात : अर्धनारी नटेश्वर — 135चौबीसवीं रात : सोमवती अमावस्या — 138पच्चीसवीं रात : भगवान् को सभी प्रिय — 142छबीसवीं रात : बंधु-प्रेम की सीख — 147साईसवीं रात : उदार पितृ हृदय — 155अट्ठाईसवीं रात : सांब सदाशिव बारिश दो — 159उनतीसवीं रात : बड़ा बनने के लिए चोरी — 162तीसवीं रात : उम्र से नहीं, तुम मन से बड़े हो — 167इकतीसवीं रात : लाडघर का तामस्तीर्थ — 171बासवीं रात : कर्ज देता है नरक यातना — 182तैंतीसवीं रात : गरीबों के सपने — 187चौंतीसवीं रात : गरीबों का अपमान — 194पैंतीसवीं रात : माँ का चिंता भरा जीवन — 199छासवीं रात : गरीबी के दिन — 203सैंतीसवीं रात : इज्जत उछाल — 207अड़तीसवीं रात : माँ की आखिरी बीमारी — 210उनतालीसवीं रात : सब प्रेम से रहो — 218चालीसवीं रात : अंतिम व्यवस्था — 221इकतालीसवीं रात : भस्ममय मूर्ति — 225बयालीसवीं रात : माँ का स्मृति श्राद्ध — 231
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