Shriguruji Kavyanjali
Item Weight | 197 Grams |
ISBN | 978-8194024637 |
Author | Shri Yogesh Chandra Verma ‘Yogi’ |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1 |

Shriguruji Kavyanjali
'श्रीगुरुजी-काव्यामृत' विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचलित नाम 'आर.एस.एस.', लघु नाम 'संघ' के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य 'श्री माधव सदाशिवराव गोलवलकर' उपाख्य 'श्रीगुरुजी' के जीवनवृत्त को खंडकाव्य में वर्णित करने का एक लघु प्रयास है।संघ की स्थापना परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने सन् 1925 में नागपुर प्रांत में की थी। सन् 1940 में प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के देहावसान के पश्चात् श्रीगुरुजी द्वितीय सर संघचालक बने।संघ के अंकुरित पौधे को अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व की खाद-पानी देकर उसे वटवृक्ष के समान उसकी जड़ों और शाखाओं का विस्तार करनेवाले महनीय 'श्रीगुरुजी' ही थे। सरसंघचालक का दायित्व ग्रहण करने से लेकर जून 1973 में मृत्युपर्यंत उन्होंने संघ में अनेक सोपान जोड़े। आधुनिक भारत के इतिहास में यह कालखंड निर्णायक रहा है, जब बँटवारे की विभीषिका के बीच सन् 1947 में यह देश स्वतंत्र हुआ, किंतु कुछ समय पश्चात् ही गांधी-हत्या का जघन्य अपराध भी हो गया। इसके पश्चात् संघ को बलि का बकरा बनाते हुए प्रतिबंधित कर कुचलने का प्रयास भी किया गया। परंतु जिस प्रकार संघ को इस भीषण कुठाराघात व घृणित दोषारोपण से निकालते हुए 'श्रीगुरुजी' ने समाज के विविध क्षेत्रों में अपने अनेक आनुषांगिक संगठन खड़े किए, वह उनकी अद्भुत अद्वितीय संगठन क्षमता को प्रकट करता है। ऐसे विराट् संगठनकर्ता के व्यक्तित्व व कृतित्व का वर्णन सरल, सुगम्य, सुबोध खंडकाव्य में कर पाने जैसे दुष्कर कार्य में रचयिता कितना सफल हुआ है, इसकी समीक्षा आप सुधी पाठकों को करनी है।_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमभाव श्रद्धांजलि —Pgs. 7लेखकीय प्राक्कथन —Pgs. 9आभार ज्ञापन —Pgs. 151. प्रस्तावना —Pgs. 192. कुल परिचय —Pgs. 323. काशी में शिक्षा ग्रहण —Pgs. 414. गुरु दीक्षा —Pgs. 585. संघ हेतु समर्पित जीवन —Pgs. 736. उत्तरदायित्व सँभालना —Pgs. 887. प्रतिबंध संबंधी —Pgs. 1028. काश्मीर की रक्षा में योगदान —Pgs. 1159. गांधी हत्या और संघ —Pgs. 12510. देश का परिभ्रमण —Pgs. 13911. गो वध निरोध आंदोलन —Pgs. 15712. विवेकानंद शिला स्मारक की रचना —Pgs. 17213. श्री नेहरू द्वारा तिब्बत को चीन को समर्पण और उसका परिणाम —Pgs. 19014. जीवन का सांध्य काल—कैंसर गाँठ की शल्य चिकित्सा —Pgs. 20715. महाप्रयाण —Pgs. 218संदर्भ ग्रंथों की सूची —Pgs. 232
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