Samaya Sakshi Hai
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Item Weight | 393 Grams |
ISBN | 978-8173156298 |
Author | Manu Sharma |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1st |

Samaya Sakshi Hai
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मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की श्रृंखला में यह दूसरा उपन्यास है। 'समय साक्षी है' का कालखंड आजादी से पूर्व का है। उस समय स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था। बनारस में 'नहीं रखनी सरकार जालिम, नहीं रखनी' ऐसे गीत गाते हुए देश प्रेमियों के दल-के-दल दशाश्वमेध घाट से जुलूस निकालते हुए टाउन हॉल के मैदान में सभा के रूप में परिवर्तित हो जाते थे।आजादी की लड़ाई में उफान उस समय आया जब 9 अगस्त, 1942 को बापू ने देश की जनता को 'करो या मरो' का नारा दिया। फिर क्या था—जनता सर पर कफन बाँधकर सड़कों पर उतर आई। गांधीजी गिरफ्तार कर लिये गए। दूसरे बड़े नेता भी रातोरात पकड़ लिये गए।अजीब समाँ था—जेलें भरी जाने लगीं, अस्पतालों में बिस्तर खाली नहीं। गलियों में, सड़कों पर आबालवृद्धनारीनर सब पर आजादी पाने का जुनून सवार था। सरकारी भवनों से यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहराया गया। चारो तरफ अराजकता फैल गई थी। 'अभी नहीं तो कभी नहीं' की हद पार हो गई। रेलें रोकी जाने लगीं, संचार माध्यम नष्ट किए जाने लगे, सरकारी संपत्ति की लूट मची और पुलिस थानों पर कब्जा कर लिया गया।स्वातंत्र्य समर के दौरान अगणित पात्रों, घटनाओं, विभीषिकाओं का जीवंत दस्तावेज है यह उपन्यास। उस काल की घटनाओं की बारीकियों को प्रस्तुत करता है—'समय साक्षी है'।
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