Sadachar Ka Taveez
Author | Harishankar Parsai |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 136 |
ISBN | 9788130000000 |
Item Weight | 0.2 kg |
Dimensions | 18"x12" |
Edition | 14th |
Sadachar Ka Taveez
सदाचार का तावीज़ - सदाचार भला किसे प्रिय नहीं होता! सदाचार का तावीज़ बाँधते तो वे भी हैं जो सचमुच 'लाचार' होते हैं, और वे भी जो बाहर से 'एक' होकर भी भीतर से सदा 'चार' रहते हैं। यहाँ ध्यान देने की बात यही है कि आपके हाथों में प्रस्तुत सदाचार का तावीज़ किसी और का नहीं—हरिशंकर परसाई का है। परसाई यानी सिर्फ़ परसाई। और इसीलिए यह दावा करना ग़लत नहीं होगा कि सदाचार का तावीज़ भी हिन्दी के व्यंग्य-साहित्य में अपने प्रकार की अद्वितीय कृति है।कुल इकतीस व्यंग्य-कथाओं का संग्रह है यह सदाचार का तावीज़। आकस्मिक नहीं होगा कि ये कहानियाँ आपको, आपके 'समूह' को एकबारगी बेतहाशा चोट दें, झकझोरें, और फिर आप तिलमिला उठें! साथ ही आकस्मिक यह भी नहीं होगा जब यही कहानियाँ आपको अपने 'होने' का अहसास तो दिलायें ही, विवश भी करें कि औरों के साथ मिलकर ख़ुद ही अपने ऊपर क़हक़हे भी आप लगायें!... एक बात यह और कि इन 'तीरमार' कहानियों का स्वर 'सुधार' का हरगिज़ नहीं, बदलने का है; यानी सिर्फ़ इतना कि आपकी चेतना में एक हलचल मच जाये, आपको एक सही 'संज्ञा' मिल सके!प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण।
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