Ravi Se Yamuna Tak
Author | Shailendra Shail |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 280 |
ISBN | 9789390000000 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.5 kg |
Dimensions | 22"x14" |
Edition | 2nd |
Ravi Se Yamuna Tak
रावी से यमुना तक - भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित अपनी बहुचर्चित संस्मरण पुस्तक 'स्मृतियों का बाइस्कोप' के माध्यम से पाठकों के मन में अपनी विशेष छवि निर्मित करने वाले कवि और संस्मरणकर्ता।शैलेन्द्र शैल का प्रथम उपन्यास 'रावी से यमुना तक' पढ़कर, मैं लगभग चकित हूँ। सच स्वीकारू तो किसी सीमा तक अभिभूत!अपने बृहत बहुआयामी पाठ में तीन पीढ़ियों का आख्यान समेटे हुए 'रावी से यमुना तक' का अति संवेदी कथा विन्यास भारत विभाजन की विस्थापन की रक्तिम पीड़ा से आरम्भ होकर स्वतन्त्र भारत में रचने बसने को दर-बदर हुए एक अति साधारण परिवार के असाधारण चरित्र में विकसित होते रमाकान्त, गाँधीवादी सिद्धान्तों, आदर्शों और मूल्यों को अपने जीवन जीने की दृष्टि बनाये हुए, अनेक संघर्षों का सामना करते हुए, कर्मठता को जिजीविषा की रीढ़ बनाये हुए, अपनी सन्तान को संस्कारों और संस्कृति के विविध पाठों से समृद्ध और सुदृढ़ करते हुए, स्कूल के एक मामूली अध्यापक से कुलपति की पद और प्रतिष्ठा को अर्जित करते हुए कब पाठकों के हृदय में कथा नायक से महानायक में परिवर्तित हो उठते हैं कि पाठक विस्मय से भर उठता है और उपन्यास के अन्त तक पहुँचते हुए स्वयं को अपने ही द्वन्द्व के कँटीले कठघरे में खड़ा हुआ पाता है। यह क्या हुआ! अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्त हुआ वह अपनी ही अराजक अमानुषिकता का ग़ुलाम हो गया? आज़ादी हासिल करके भी कब कैसे सरक गये उसके ही हाथों से आज़ादी के मायने? निजी महत्वाकांक्षाओं और स्वार्थों में स्खलित होते! मैं कथा की गिरह को हरगिज़ नहीं खोलने वाली।चाहती हूँ कि इस दस्तावेज़ी रोचक उपन्यास को स्वयं पाठक उसके पाठ से गुज़रते हुए उसके समूचे कालखण्ड की ऐतिहासिकता को, समाजशास्त्रीय मनोविज्ञान को, राजनीतिक क्षरण को, सांस्कृतिक विचलनों को उन तारीख़ों के साक्ष्य के हवाले से उन उद्वेगों को स्वयं अनुभूत करें। यह उपन्यास 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में सैन्य जीवन के अन्तद्वन्द्वों की चुनौतियों को भी संस्थापित करते हुए, महसूस करवाता है कि राष्ट्र की सार्वभौमिकता को बचाये और बनाये रखने में चरित्र की नैतिकता और उसमें निहित मूल्यों की क्या भूमिका होती है... —चित्रा मुद्गल
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