Raven Ki Lokkathayen
Author | Sushma Gupta |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-8177213898 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.25 kg |
Edition | 1 |
Raven Ki Lokkathayen
लोककथाएँ किसी भी समाज की संस्कृति का अटूट हिस्सा होती हैं, जो संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं, जिसकी वे लोककथाएँ हैं। सालों पहले ये केवल जबानी कही जाती थीं और कह-सुनकर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को पहुँचाई जाती थीं; इसलिए यह कहना मुश्किल है कि किसी भी लोककथा का मूल रूप क्या रहा हो!रैवन का जिक्र केवल कनाडा की लोककथाओं में ही नहीं है, बल्कि ग्रीस और रोम की दंतकथाओं में भी पाया जाता है। प्रशांत महासागर के उत्तर-पूर्व के लोगों में रैवन की जो लोककथाएँ कही-सुनी जाती हैं, उनसे पता चलता है कि वे लोग अपने वातावरण के कितने अधीन थे और उसका कितना सम्मान करते थे।रैवन कोई भी रूप ले सकता है— जानवर का या आदमी का। वह कहीं भी आ-जा सकता है और उसके बारे में यह पहले से कोई भी नहीं बता सकता कि वह क्या करनेवाला है।रैवन की ये लोककथाएँ रैवन के चरित्र के बारे कुछ जानकारी तो देंगी ही, साथ में बच्चों और बड़ों दोनों का मनोरंजन भी करेंगी। आशा है कि ये लोककथाएँ पाठकों का मनोरंजन तो करेंगी ही, साथ ही दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में जानकारी भी देंगी।___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमभूमिका—Pgs. 5रैवन की लोककथाएँ—Pgs. 71. रैवन ने व्हेल कैसे मारी—Pgs. 132. रैवन की समुद्री यात्रा—Pgs. 163. रैवन और बड़ी बाढ़—Pgs. 224. सूरज की चोरी—Pgs. 255. रैवन और बेचारी चिड़ियाँ—Pgs. 326. लोमड़ा और रैवन—Pgs. 347. रैवन और उल्लू—Pgs. 378. रैवन और मिंक—Pgs. 399. नर गिलहरी और रैवन—Pgs. 4310. रैवन और एक आदमी—Pgs. 4611. रैवन और कौए का पौटलैच—Pgs. 4912. रैवन और बतखें—Pgs. 5413. रैवन और उसकी बतख पत्नी—Pgs. 6014. रैवन ने शादी की—Pgs. 6215. रैवन और उसकी दादी—Pgs. 6516. शिकारी रैवन—Pgs. 7317. जब रैवन की आँखें खो गईं—Pgs. 7918. जिराल्डा का रैवन—Pgs. 8419. एक बूढ़े पति-पत्नी और जूता बनानेवाले—Pgs. 9420. जब रैवन मारा गया—Pgs. 10021. रैवन पकड़ना आसान नहीं—Pgs. 10322. रैवन ने तेल बेकार किया—Pgs. 10923. बोलता रैवन जो हीरो बन गया—Pgs. 116
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