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Raushni Jaari Karo

Manish Shukla

Rs. 199 Rs. 159

Hindi

About Book प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर मनीष शुक्ला का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|   About Author मनीष शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) में 1971 में पैदा हुए। ता’लीम सहारनपुर... Read More

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Description

About Book

प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर मनीष शुक्ला का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|

 

About Author

मनीष शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) में 1971 में पैदा हुए। ता’लीम सहारनपुर और लखनऊ में हुई जहाँ उन्होंने लखनऊ युनिवर्सिटी से एम़ ए़ (ऐंथ्रोपालजी) किया। 1997 में प्रँत्रीय सिविल सर्विस के लिए चुने गए। मुलाज़िमत के दौरान ही उर्दू लिपि सीखी। शाइ’री का सिलसिला बचपन में घर के माहौल और ख़ून में उठने वाली भाव-विचारों की उथल-पुथल से शुरूअ’ हुआ। पहला ग़ज़ल-संग्रह ‘ख़्वाब पत्थर हो गए’ 2012 और दूसरा ‘रौशनी जारी करो’ 2017 में प्रकाशित। आजकल लखनऊ में कार्यरत।

     

    Additional Information
    Title

    Default title

    Publisher Rekhta Books
    Language Hindi
    ISBN 9788193773420
    Pages
    Publishing Year

    Raushni Jaari Karo

    About Book

    प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर मनीष शुक्ला का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|

     

    About Author

    मनीष शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) में 1971 में पैदा हुए। ता’लीम सहारनपुर और लखनऊ में हुई जहाँ उन्होंने लखनऊ युनिवर्सिटी से एम़ ए़ (ऐंथ्रोपालजी) किया। 1997 में प्रँत्रीय सिविल सर्विस के लिए चुने गए। मुलाज़िमत के दौरान ही उर्दू लिपि सीखी। शाइ’री का सिलसिला बचपन में घर के माहौल और ख़ून में उठने वाली भाव-विचारों की उथल-पुथल से शुरूअ’ हुआ। पहला ग़ज़ल-संग्रह ‘ख़्वाब पत्थर हो गए’ 2012 और दूसरा ‘रौशनी जारी करो’ 2017 में प्रकाशित। आजकल लखनऊ में कार्यरत।