RAJASTHANI SAHITYA KA SAMKAL
Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-9387252530 |
Author | DR. NEERAJ DAIYA |
Language | Hindi |
Publisher | Surya Prakashan Mandir |
Pages | 128 |
Book Type | Paperback |
Dimensions | 16*X14*X4* |
Publishing year | 2020 |
Edition | FIRST |

RAJASTHANI SAHITYA KA SAMKAL
किसी भी भाषा का साहित्य केवल सामयिक मुद्दों तक सीमित नहीं रहता बल्कि उसमें सम्बंधित देश-काल का इतिहास, परंपरा, आस्था, जीवन मूल्य व लोकरंग समाहित रहते हैं। राजस्थानी भाषा के साहित्य के संदर्भ में यह बात खास तौर पर कही जा सकती है। संवैधानिक मान्यता के अभाव के बावजूद राजस्थानी के समकालीन साहित्य में यहाँ के परिवेश व सरोकारों की अभिव्यक्ति जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण है उसकी वैश्विक चेतना। राजस्थान की सुरंगी संस्कृति की तरह राजस्थानी साहित्य भी बहुरंगी रहा है। वरिष्ठ आलोचक डॉ नीरज दइया ने 'राजस्थानी साहित्य का समकाल' कृति में हिंदी के माध्यम से दुनिया को राजस्थानी साहित्य की मूल चेतना को जानने-समझने का अवसर सुलभ करवाया है। करीब एक हजार साल पुरानी भाषा के साहित्य में परंपरा की अविरल धारा के साथ आधुनिक भाव बोध को रेखांकित करती यह आलोचना-कृति विविध विधाओं व विमर्शों पर अपने आलेखों से पाठकों को पूर्वाग्रहों से मुक्त करके सम्पन्न बनाती हैं। अनुवाद वह खिड़की है जिससे भाषाओं के बीच परस्पर आवाजाही बनी रहती है। आलोचना विधा के माध्यम से यह कृति इसी काम को नए तरीके से पूर्ण करती है जो अनुवाद से आगे का पड़ाव माना जा सकता है। गवेषणा के साथ समुचित उदाहरणों से किसी अभिमत की पुष्टि इस किताब की खासियत है। भारतीय भाषाओं के बीच राजस्थानी साहित्य की समालोचना की यह पहल नई होने के साथ सार्थक भी है। कहना न होगा, इस कृति से हिंदी आलोचना का फलक अधिक विस्तृत व समृद्ध हुआ है। - डॉ. मदन गोपाल लढ़ा
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.
You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.