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RAG RAVIDAS

SHRIPRAKASH SHUKLA

Rs. 199

About the Book:भक्ति के लोकवृत में रविदास पंद्रहवीं सदी के एक ऐसे कवि हैं जिनका स्वर आज इक्कीसवीं सदी में पूरी गरिमा और गुरुत्व के साथ सुनाई देता है।About the Author:जन्म : 18 मई 1965 को सोनभद्र जिले के बरवाँ गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ :... Read More

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About the Book:
भक्ति के लोकवृत में रविदास पंद्रहवीं सदी के एक ऐसे कवि हैं जिनका स्वर आज इक्कीसवीं सदी में पूरी गरिमा और गुरुत्व के साथ सुनाई देता है।

About the Author:
जन्म : 18 मई 1965 को सोनभद्र जिले के बरवाँ गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : अपनी तरह के लोग, जहाँ सब शहर नहीं होता, बोली बात, रेत में आकृतियाँ, ओरहन और अन्य कविताएँ, कवि ने कहा, क्षीरसागर में नींद; आलोचना : साठोत्तरी हिन्दी कविता में लोक सौन्दर्य, नामवर की धरती, हजारीप्रसाद द्विवेदी : एक जागतिक आचार्य और महामारी और कविता; सम्पादन : साहित्यिक पत्रिका परिचय का सम्पादन। कई कविताओं का अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी और मलयाली भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार : कविता के लिए बोली बात संग्रह पर वर्तमान साहित्य का मलखानसिंह सिसोदिया पुरस्कार, रेत में आकृतियाँ नामक कविता-संग्रह पुरस्कार, ओरहन और अन्य कविताएँ नामक कविता-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का विजयदेव नारायण साही कविता पुरस्कार। वर्तमान में बी.एच.यू. के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं तथा भोजपुरी अध्ययन केंद्र, बी.एच.यू. के समन्वयक हैं।
Description

About the Book:
भक्ति के लोकवृत में रविदास पंद्रहवीं सदी के एक ऐसे कवि हैं जिनका स्वर आज इक्कीसवीं सदी में पूरी गरिमा और गुरुत्व के साथ सुनाई देता है।

About the Author:
जन्म : 18 मई 1965 को सोनभद्र जिले के बरवाँ गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : अपनी तरह के लोग, जहाँ सब शहर नहीं होता, बोली बात, रेत में आकृतियाँ, ओरहन और अन्य कविताएँ, कवि ने कहा, क्षीरसागर में नींद; आलोचना : साठोत्तरी हिन्दी कविता में लोक सौन्दर्य, नामवर की धरती, हजारीप्रसाद द्विवेदी : एक जागतिक आचार्य और महामारी और कविता; सम्पादन : साहित्यिक पत्रिका परिचय का सम्पादन। कई कविताओं का अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी और मलयाली भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार : कविता के लिए बोली बात संग्रह पर वर्तमान साहित्य का मलखानसिंह सिसोदिया पुरस्कार, रेत में आकृतियाँ नामक कविता-संग्रह पुरस्कार, ओरहन और अन्य कविताएँ नामक कविता-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का विजयदेव नारायण साही कविता पुरस्कार। वर्तमान में बी.एच.यू. के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं तथा भोजपुरी अध्ययन केंद्र, बी.एच.यू. के समन्वयक हैं।

Additional Information
Title

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Publisher Setu Prakashan Pvt. Ltd.
Language Hindi
ISBN 9789380441801
Pages 152
Publishing Year 2023

RAG RAVIDAS

About the Book:
भक्ति के लोकवृत में रविदास पंद्रहवीं सदी के एक ऐसे कवि हैं जिनका स्वर आज इक्कीसवीं सदी में पूरी गरिमा और गुरुत्व के साथ सुनाई देता है।

About the Author:
जन्म : 18 मई 1965 को सोनभद्र जिले के बरवाँ गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : अपनी तरह के लोग, जहाँ सब शहर नहीं होता, बोली बात, रेत में आकृतियाँ, ओरहन और अन्य कविताएँ, कवि ने कहा, क्षीरसागर में नींद; आलोचना : साठोत्तरी हिन्दी कविता में लोक सौन्दर्य, नामवर की धरती, हजारीप्रसाद द्विवेदी : एक जागतिक आचार्य और महामारी और कविता; सम्पादन : साहित्यिक पत्रिका परिचय का सम्पादन। कई कविताओं का अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी और मलयाली भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार : कविता के लिए बोली बात संग्रह पर वर्तमान साहित्य का मलखानसिंह सिसोदिया पुरस्कार, रेत में आकृतियाँ नामक कविता-संग्रह पुरस्कार, ओरहन और अन्य कविताएँ नामक कविता-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का विजयदेव नारायण साही कविता पुरस्कार। वर्तमान में बी.एच.यू. के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं तथा भोजपुरी अध्ययन केंद्र, बी.एच.यू. के समन्वयक हैं।