Punjabi Ki Lokpriya Kahaniyan
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Author | Phulchand Manav |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9352663828 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.25 kg |
Edition | First |
Punjabi Ki Lokpriya Kahaniyan
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पंजाबी गीतों, कविताओं के साथ भारत से बाहर भी विदेशों तक पंजाबी संस्कृति-साहित्य की धूम है। कहानी के क्षेत्र में पंजाबी रचनाकार विदेशों में, पंजाब से बाहर अन्य कई प्रांतों में पाकिस्तान तक छाए हुए हैं। उपन्यास, कथा के लिए पंजाबी कहानीकारों में अमृता प्रीतम, करतारसिंह दुग्गल, बलवंत गार्गी, देवेंद्र सत्यार्थी, कुलवंत सिंह विर्क, महेंद्र सिंह सरना, विरदी, दलीप कौर टिवाणा और जगजीत वराड़ सरीखे प्रतिभा संपन्न हस्ताक्षरों ने अपने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। वहीं मोहन भंडारी, प्रेम प्रकाश, रघुबीर ढंड, जसवंतसिंह कँवल, सेखो, गुरमुखसिंह मुसाफिर और गुरबशसिंह प्रीतलड़ी के नाम की भी अच्छी-खासी धूम रही है। देहाती, शहराती पंजाबी संस्कृति, सभ्यता का सटीक, सजीव चित्रण इनकी कहानियाँ प्रस्तुत करती हैं तो भाषा, शैली और शिल्प के माध्यम से भी इन्हीं समर्थ कथा हस्ताक्षरों ने सफलता की बुलंदी को छुआ है।पंजाबी कहानी 'पिंजर', 'जुलूस', 'मंगो', 'साझा', 'हलवाहा', 'तोताराम', ह��� अथवा 'डैडलाइन', 'ओवर टाइम', 'कंचन माटी', 'सच मानना' के साथ 'हलवाहा' पिछले एक सौ साल से ऊपर की निरंतर कथा यात्रा में लोकप्रियता के स्तर पर इन कहानियों ने अपने स्पेस का एहसास करवाया है। 'रंग में भंग', 'बागी की बेटी', 'सोया हुआ साँप', 'शान-ए-पंजाब' हो या 'कहवाघर की सुंदरी', इन पंजाबी कथाओं ने अपना अस्तित्व जतलाकर पाठकों को अपने हक में खड़ा किया है। 'परी महल की चीखें', 'आवाज आवाज है', हो या 'जोगासिंह का चौबारा', किसी भी अन्य भारतीय भाषा की टकर में ये इकीस सिद्ध हुई हैं। पाठक वर्ग युवा हो या प्रौढ़, किशोर अथवा वयोवृद्ध, हर आयु के रसज्ञ के लिए ये कहानियाँ पठनीय हैं।__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमभूमिका——71. भाभी मैना—गुरबशसिंह—172. बागी की बेटी—गुरमुखसिंह मुसाफिर—283. हलवाहा—संतसिंह सेखों —374. कंचन माटी—देवेंद्र सत्यार्थी —435. कहवाघर की सुंदरी—बलवंत गार्गी—576. ओवर टाइम—कर्तारसिंह दुग्गल—637. जोगासिंह का चौबारा—अमृता प्रीतम—688. परी महल की चीखें—जसवंतसिंह कंवल—749. मंगो—संतोखसिंह धीर—8610. रंग में भंग—कुलवंतसिंह विर्क—9411. जुलूस—महेंद्रसिंह सरना—9912. पिंजर—साहिबसिंह गिल—10613. सोया हुआ साँप—राम सरूप अणखी—11414. डेड लाइन—प्रेमप्रकाश—11815. तोताराम—जसवंतसिंह विरदी—12816. शान-ए-पंजाब—रघुवीर ढंड—13617. सच मानना—दलीप कौर टिवाणा—15218. आवाज आवाज है—एन. कौर—15719. साझा—मोहन भंडारी—16520. श्वेत कबूतरी की तसवीर—जगजीत बराड़—179
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