Premchand
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Author | Rambaksh jaat |
Language | Hindi |
Publisher | Setu prakashan |
Pages | 128 |
ISBN | 978-93-92228-77-3 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.244 kg |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Edition | 1st |
Premchand
About Book
प्रेमचन्द को पढ़ना गुलाम भारत के मानस को पढ़ना है, उसकी कशमकश को, 'स्वराज्य' सम्बन्धी उसकी चिन्ताओं और दुश्चिन्ताओं को, किसान और किसानियत तथा उससे जुड़ी तमाम परेशानियों को चीन्हना है। इस पुस्तक में हमें न केवल प्रेमचन्द के कई रूपों (व्यक्ति, लेखक, पत्रकार, विचारक, सुधारक, व्यवस्थापक आदि) के दर्शन होते हैं, बल्कि इसमें उन रूपों में होते उत्तरोत्तर विकास को सतथ्य रेखांकित किया गया है।
आलोचक रामबक्ष जाट बताते हैं कि अपनी आरम्भिक रचनाओं में प्रेमचन्द एक उत्साही युवा की तरह राष्ट्र-निर्माण के अपने स्वप्न हमसे साझा करते हैं तो अन्तिम दौर की अपनी रचनाओं में वे एक परिपक्व प्रौढ़ की तरह राष्ट्र-निर्माण के बुनियादी और जरूरी सवालों से हमें जोड़ते हैं। इस दृष्टि से उनकी यह पुस्तक प्रेमचन्द के गम्भीर अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, जितनी कि आम पाठक के लिए।साथ ही, प्रेमचन्द को प्रेमचन्द-सी (सरस लेकिन गम्भीर) भाषा में पढ़ना इस किताब का एक अन्य रोचक पक्ष है।
About Author
4 सितम्बर 1951 को राजस्थान के एक गाँव चिताणी में जन्मे रामबक्ष जाट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। 1980 से लेकर अब तक प्रेमचन्द साहित्य पर
गम्भीर चिन्तन-मनन किया। इस पुस्तक सहित प्रेमचन्द पर इनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसके अलावा दादूदयाल, समकालीन हिन्दी आलोचक और आलोचना सहित नौ आलोचनात्मक पुस्तकें और एक संस्मरणात्मक पुस्तक 'मेरी चिताणी’ भी प्रकाशित है।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त।
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