Pratigya
Author | Ramesh Pokhriyal Nishank |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-8173159343 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.2 kg |
Edition | 1st |
Pratigya
'अरे ब्वारी, क्या हुआ वीरू को?' लरजता स्वर, भीगी हुई आँखें, कँपकँपाता शरीर। 'कुछ नहीं बताते, माँजी।' सुनीता ने आगे बढ़ थाम लिया उन्हें। 'अरे, क्यों नहीं बताता? किसने किया तेरा ये हाल?' और फिर साथ आए युवकों को भी ले लिया आड़े हाथ। 'िकससे दुश्मनी है मेरे वीरू की? यह तो सबका भला ही कर रहा है।' सब खामोश थे। जानते थे, किससे दुश्मनी है वीरू की। किसके आँख की किरकिरी बन गया है वीरू। लेकिन उसकी पत्नी और माँ कहीं घबरा न जाएँ, इसलिए चुप रहे।'कहीं उन शराबवाले गुंडों ने तो मारपीट नहीं की?' आशंकित भगुली देवी ने साथ आए युवक से पूछा। 'सुरू, तू बता। ये तो बताएगा नहीं। वही थे न? कितनी बार कहा इससे, मत ले उन लोगों से दुश्मनी।' उसने झट दूसरे साथी से सवाल किया। एक महिला का अपने ऊपर हो रहे अत्याचार-अनाचार के विरुद्ध खड़े होकर लोहा लेने की प्रतिज्ञा करने की संघ%ाZ-गाथा। समाज-िवरोधी तत्त्वों की बढ़ती धींगामस्ती, मनमानी, धनलोलुपता एवं व्यसनप्रियता को उजागर करता त���ा सभ्य समाज की मूकदर्शक बने रहने की प्रवृत्ति को आईना दिखाता एक प्रेणादायी उपन्यास।
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