Oswal Vanshawali evam Riti-Riwaz
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | N/-A |
Author | Dr. Hukamsingh Bhati |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthagar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |
Publishing year | 2009 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Oswal Vanshawali evam Riti-Riwaz
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ओसवाल वंशावली एवं रीति-रिवाजओसवाल समाज का इतिहास अपने आप में वंदनीय एवं अनुकरणीय रहा है। अनेकानेक ओसवालों को न केवल कलम और तलवार के धनी होने का गौरव प्राप्त है बल्कि उन पर लक्ष्मी की भी निष्ठा से उन्होंने अपना अनुपम इतिहास रचा है। although ओसवाल वंश के कतिपय विद्वानों ने अपने सामाजिक इतिहास को प्रकाश में लाने का स्तुत्य कार्य किया है तथापि आधारभूत प्रामाणिक स्रोतों के के विभिन्न गोत्रों (शाखाओं) की उत्पत्ति और विकास के बारे में गहरा मतभेद बना हुआ है। इसके लिए प्राचीन और दुर्लभ ग्रंथों की खोज तथा अध्ययन अपरिहार्य है। इस बिन्दु को ध्यान में रखते हुए 200 वर्ष प्राचीन अलभ्य ग्रंथ-ओसवाल-वंशावली के चार भागों को इस पुस्तक में संजोने का प्रयास किया है Oswal Vanshawali Riti Riwazरीति-रिवाजsurely ओसवालों के विभिन्न गोत्रों की उत्पत्ति उनका वंशक्रम, स्थान विशेष के ओसवालों की पीढ़ियों, उनकी संतति, उनके सामाजिक एवं धार्मिक क्रियाकलापों के साथ ही सामरिक उपलब्धियों का वृत्तांत उपलब्ध होने से इस ग्रंथ का विशेष महत्त्व रहा है। इतना ही नहीं ओसवालों के रीति-रिवाज, दानशीलता, जनकल्याण कार्य, श्रावक, धार्मिक प्रथाओं का निर्वाह करने वाली स्त्रियों का योगदान आदि अनेक सूत्र इसमें विद्यमान हैं।मानव के जीवनादर्शों को अपने में समेटे हुए जैन समाज का इतिहास प्राचीन होने के साथ गरिमामय रहा है। जैनी लोगों को बुद्धिजीवी होने का सौभाग्य मिला so इसलिए जैनाचार्यों, मुनियों, श्रावकों और जैन धर्मावलम्बियों की कलम हरदम चलती रही। जैन साहित्य जितना रचा गया और किसी साहित्य का इतना सृजन नहीं हुआ।specifically जैन ग्रंथों के रख-रखाव व सुरक्षा के कारण सामग्री नष्ट होने से भी बची रही। परन्तु इतना कुछ होते हुए भी ओसवाल-जैनियों के गच्छ और गोत्रों का प्रामाणिक इतिहास अंधकार में ही रहा। इसका मूल कारण यह रहा कि जैन धर्मावलम्बियों ने मुख्य रूप से अपने धर्म और सिद्धान्तों को अधिक महत्त्व दिया तथा इसके प्रचार-प्रसार हेतु अधिकाधिक ग्रंथ रचे गये। प्रारम्भ में उन्होंने अपने गच्छ गोत्रों की उत्पत्ति के बारे में कम ध्यान दिया। समय व्यतीत हो जाने के बाद उन्होंने अपनी जड़ को उस समय टटोलने का प्रयास किया, तब परम्परागत सूत्र जो इतिहास के काफी निकट थे, अनेक आवरणों से ढक गये तथा चमत्कारपूर्ण रोचक बातों ने जन्म ले लिया।Oswal Vanshawali Riti Riwazclick >> अन्य सम्बन्धित पुस्तकेंclick >> YouTube कहानियाँRelatedTRUE
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