नेपथ्य राग – मीरा कांत नारी विमर्श की गम्भीर और संवेदनशील नाटककार हैं। उनके द्वारा रचित नाटक 'नेपथ्य राग' पौराणिक कथा को आधुनिक परिवेश में रोपने का एक सार्थक प्रयास है l यह नाटक पुरुष सत्तात्मक समाज की मानसिकता का उद्घाटन करने के साथ-साथ नारी-मानसिकता के दुर्बल पक्ष को भी सामने लाता है l वास्तव में, महिलाओं की पहचान के संघर्ष को सशक्त तरीक़े से दर्शाता है 'नेपथ्य राग'।इस नाटक का केन्द्रीय विचार यह है कि देश-काल और समय चाहे कोई भी हो, बुद्धिमती-विदुषी स्त्री को पुरूष समाज कभी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आज के आक्रामक स्त्री-विमर्श और आधुनिकता या उत्तर-आधुनिकता के बावजूद बुनियादी रूप से स्थिति में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है।