Naksali Aatankwad
| Item Weight | 366 Grams |
| ISBN | 978-8173158902 |
| Author | Sushil Rajesh |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2013 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Naksali Aatankwad
नक्सलवाद किसी भी तरह की क्रांति नहीं, बल्कि आतंकवाद का ही नया प्रारूप है। बेशक यह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के इसलामी आतंकवाद से भिन्न है, लेकिन नक्सलवाद को सामाजिक-आर्थिक-कानूनी टकराव करार नहीं दिया जा सकता। यह एक ऐसी जमात है, जिसे मुगालता है कि बंदूक की नली से 2050 तक भारत की सत्ता पर कब्जा किया जा सकता है। इस पुस्तक 'नक्सली आतंकवाद' का उपसंहार भी यही है। इस निष्कर्ष तक पहुँचने में हमने करीब चार दशक खर्च कर दिए और नक्सलियों को हम अपने ही भ्रमित बंधु मानते रहे। नतीजतन आज आतंकवाद से भी विकराल और हिंसक चेहरा नक्सलवाद का है। देश का करीब एक तिहाई भाग और आठ राज्य नक्सलवाद से बेहद जख्मी और लहूलुहान हैं। नक्सलवाद पर यह कमोबेश पहला प्रयास है कि सरकारी हथियारबंद ऑपरेशन के साथ-साथ नक्सलियों की रणनीति को भी समेटा गया है। तमाम पहलुओं का तटस्थ विश्लेषण किया गया है। नक्सलवाद की पृष्ठभूमि को भी समझने की कोशिश की गई है। यूँ कहें कि नक्सलवाद पर दो वरिष्ठ पत्रकारों का अद्यतन (अपडेट) अध्ययन है। पुस्तक की सार्थकता इसी में है कि सुधी पाठक और शोधार्थी इसे संदर्भ ग्रंथ के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________सूची-क्रमएक और कुरुक्षेत्र के बीच — Pgs. ७अध्याय १ : क्रांति से आतंकवाद तक — Pgs. १३'लाल आतंक' के खिलाफ ऑपरेशन — Pgs. १५७६ शहादतों का जंगल — Pgs. २६हमले और विकास के बीच — Pgs. ३१अपनी ही गली में गुरिल्ला ���मला — Pgs. ३८नक्सली मोरचे पर सेना क्यों नहीं? — Pgs. ४१क्या नक्सलवाद राज्यों की ही समस्या...? — Pgs. ४४दिल्ली की दहलीज तक — Pgs. ४७संवाद के नाकाम सिलसिले — Pgs. ५२नाकाम खुफिया के नतीजतन — Pgs. ५८नक्सलवाद की 'स्वात घाटी' — Pgs. ६१मसीहा नहीं, फासिस्ट — Pgs. ६६बंदूक की नली से पैसे की सत्ता — Pgs. ६९नक्सल का 'बौद्धिक आतंक' — Pgs. ७४मानवाधिकारों के ठेकेदार — Pgs. ७८साथ-साथ हैं नेता-नक्सली — Pgs. ८२तेलंगाना : पुराने गढ़ को पाने की कवायद — Pgs. ८७जमीन उसकी, जो उसे जोते — Pgs. ९२पुलिस के नाम नक्सली फरमान — Pgs. ९६'आतंकवाद नहीं, युद्ध का सामना कर रहे हैं हम'—विश्वरंजन — Pgs. १०२'युद्ध लड़नेवाले बातचीत नहीं करते'— किशनजी — Pgs. ११०सलवा जुडूम : नक्सली बनाम आदिवासी — Pgs. ११४पिछड़ेपन का सच बयाँ करते ३३ जिले — Pgs. ११९बैलेट ने नकारी बुलेट — Pgs. १२२साथियों को खारिज करते बुजुर्ग नक्सली — Pgs. १२५अध्याय २ : लहूलुहान ८ राज्य — Pgs. १२९पश्चिम बंगाल : 'जंगलमहल' का अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग — Pgs. १३१झारखंड : नक्सलियों को शिबू का संरक्षण — Pgs. १३७छत्तीसगढ़ : आतंक का 'दंडकारण्य' — Pgs. १४२आंध्र प्रदेश : स्वतंत्र दंडकारण्य का सपना अधूरा — Pgs. १५१उड़ीसा : क्रांति के मायने गाँजे की तस्करी — Pgs. १५७महाराष्ट्र : 'ऑपरेशन एरिया वन' जारी है — Pgs. १६१बिहार : सेना-सियासत में बँटे नक्सली — Pgs. १६६मध्य प्रदेश : आतंक के २८ साल — Pgs. १७१अध्याय ३ : पृष्ठभूमि और परंपरा — Pgs. १७३नक्सलबाड़ी की चिनगारी — Pgs. १७५चारु की क्रांति या आतंकवाद — Pgs. १७९सशस्त्र क्रांति का सफरनामा — Pgs. १८५सरकार के खिलाफ नक्सली रणनीति — Pgs. १८९चारु की १०-सूत्रीय गुरिल्ला योजना — Pgs. १९५अध्याय ४ : सूत्रधार और सेनापति — Pgs. २०१नक्सलियों का 'लादेन' — Pgs. २०३नक्सलवाद का प्रचार-पुरुष — Pgs. २०७'लालगढ़ का आतंक' छत्रधर — Pgs. २१०कोबाड की क्रांति और काजू — Pgs. २१२विज्ञानी-बैंकर भी नक्सली हत्यारे — Pgs. २१४नक्सली पहचान के विशेष ब्योरे — Pgs. २१७
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.
You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.