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About Book "मुझपर मेरा साया पड़ गया" जनाब भारत भूषण पंत की चुनिन्दा उर्दू ग़ज़लों का संग्रह है जिसे रेख़्ता फाउन्डेशन के "रेख़्ता नुमाइन्दा कलाम" सीरीज़ के तहत शाया किया गया है| इस सीरीज़ के ज़रीए रेख़्ता फाउन्डेशन आज के दौर के नायाब लेकिन कम मशहूर शाइरों का सर्वश्रेष्ठ कलाम... Read More
About Book
"मुझपर मेरा साया पड़ गया" जनाब भारत भूषण पंत की चुनिन्दा उर्दू ग़ज़लों का संग्रह है जिसे रेख़्ता फाउन्डेशन के "रेख़्ता नुमाइन्दा कलाम" सीरीज़ के तहत शाया किया गया है| इस सीरीज़ के ज़रीए रेख़्ता फाउन्डेशन आज के दौर के नायाब लेकिन कम मशहूर शाइरों का सर्वश्रेष्ठ कलाम आम पाठकों के दरमियान ला रहा है| भारत भूषण पंत आज के दौर के लोकप्रिय शाइर हैं जिन्होंने ज़िन्दगी को देखने के अपने नज़रीए से पूरे अह्द को मुतअस्सिर किया है|
About Auhtor
भारत भूषण पंत 3 जून 1958 को देहरादून (उत्तराखंड) में पैदा हुए। उनके तीन शाइ’री-संग्रह कोशिश (1988), तन्हाइयाँ कहती हैं (2005) और बेचेहरगी (2010) प्रकाशित हुए। इसके अ’लावा उन्होंने हिन्दी फ़िल्म ‘धोखा’ का टाइटल ट्रैक और ‘हल्ला बोल’ के संवाद भी लिखे।
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"मुझपर मेरा साया पड़ गया" जनाब भारत भूषण पंत की चुनिन्दा उर्दू ग़ज़लों का संग्रह है जिसे रेख़्ता फाउन्डेशन के "रेख़्ता नुमाइन्दा कलाम" सीरीज़ के तहत शाया किया गया है| इस सीरीज़ के ज़रीए रेख़्ता फाउन्डेशन आज के दौर के नायाब लेकिन कम मशहूर शाइरों का सर्वश्रेष्ठ कलाम आम पाठकों के दरमियान ला रहा है| भारत भूषण पंत आज के दौर के लोकप्रिय शाइर हैं जिन्होंने ज़िन्दगी को देखने के अपने नज़रीए से पूरे अह्द को मुतअस्सिर किया है|
About Auhtor
भारत भूषण पंत 3 जून 1958 को देहरादून (उत्तराखंड) में पैदा हुए। उनके तीन शाइ’री-संग्रह कोशिश (1988), तन्हाइयाँ कहती हैं (2005) और बेचेहरगी (2010) प्रकाशित हुए। इसके अ’लावा उन्होंने हिन्दी फ़िल्म ‘धोखा’ का टाइटल ट्रैक और ‘हल्ला बोल’ के संवाद भी लिखे।