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About Book

समाज की परंपराओं व व्यवस्थाओं के निर्माण में पुरुष की वर्चस्ववादी मानसिकता की अहम् भूमिका रही है। इन्हीं निर्मितियों में एक है सतीप्रथा। इसी प्रथा को केंद्र में रख कर उपन्यास 'मुझे पहचानो' समाज के धार्मिक, सांसारिक और बौद्धिक पाखंड की परतें उधेड़ता है।

सती होने की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस अमानवीय परंपरा के पीछे मूल कारक सांस्कृतिक गौरव है। सांस्कृतिक गौरव के साथ शुचिता का प्रश्न स्वत: उभरता है। इसमें समाहित है वर्ण की शुचिता, वर्ग की शुचिता, रक्त की शुचिता

और लैंगिक शुचिता इत्यादि। इसी क्रम में पुरुषवादी यौन शुचिता की परिणति के रूप में सतीप्रथा समाज के सामने व्याप्त होती है।

समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों के नजरिये से परे यह प्रथा सर्वमान्य रही है और वर्तमान समय में भी गौरवशाली संस्कृति के हिस्से के रूप में स्वीकार्य है। महत्त्वपूर्ण और निराशाजनक यह है कि स्त्रियाँ भी इसकी धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यता को सहमति देती हैं । उपन्यास में एक महिला इस प्रथा को समर्थन देते हुए कहती है, "...जीवन में कभी-कभी तो ऐसे पुण्य का मौका देते हैं राम!"

उपन्यास 'मुझे पहचानो' इसी तरह की अमानवीय धार्मिक मान्यताओं को खंडित करने और पाखंड में लिपटे झूठे गौरव से पर्दा हटाने का प्रयास करता है। इसी क्रम में धर्म और धन के घालमेल को भी उजागर करता है। इसके लिए सटीक भाषा, सहज प्रवाह और मार्मिक टिप्पणियों का प्रयोग उपन्यास में किया गया है जो इसकी प्रभावोत्पादकता का विस्तार करता है।

About Author

संजीव

जन्म : 6 जुलाई, 1947, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) के बाँगरकलाँ गाँव में।

कार्यक्षेत्र : 38 वर्षों तक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्य करने के बाद स्वतंत्र लेखन, 7 वर्षों तक हंस समेत अनेक पत्रिकाओं के संपादन एवं स्तंभलेखन का कार्य। अपने शोधपरक लेखन व वर्जित विषयों पर लिखे गये साहित्य के लिए ख्यात। लगभग 150 कहानियाँ व 14 उपन्यास प्रकाशित।

प्रमुख कृतियाँ : तीस साल का सफरनामा, आप यहाँ हैं, भूमिका और अन्य कहानियाँ, दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेतमुक्ति, प्रेरणास्त्रोत और अन्य कहानियाँ, ब्लैक होल, खोज, दस कहानियाँ, गति का पहला सिद्धांत, गुफा का आदमी, आरोहण (कहानी संग्रह); किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान ! नीचे आग है, धार, पाँव तले की दूब, जंगल जहाँ शुरू होता है, सूत्रधार, आकाश चम्पा, अहेर, फाँस, प्रत्यंचा, मुझे पहचानो और पुरबी बयार (उपन्यास), रानी की सराय (किशोर उपन्यास), डायन और अन्य कहानियाँ (बाल-साहित्य)।

पुरस्कार : कथाक्रम सम्मान, अन्तरराष्ट्रीय इंदु शर्मा सम्मान, भिखारी ठाकुर सम्मान, पहल सम्मान, सुधा-स्मृति सम्मान, इफको का श्री लाल शुक्ल स्मृति साहित्य सम्मान।

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