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Mera Desh Mera Jeevan
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मेरा देश मेरा जीवन अहर्निश राष्ट्र सेवा को समर्पित शिखर पुरुष लालकृष्ण आडवाणी की आत्मकथा है। वर्तमान भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में आडवाणी अपनी प्रतिबद्धता, प्रखर चिंतन, स्पष्ट विचार और दूरगामी सोच के लिए जाने जाते हैं। वे 'राष्ट्र सर्वोपरि' को जीवन का मूलमंत्र मानकर पिछले छह दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं।1947 में सांप्रदायिक दुर्भाव से उपजे द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत के आधार पर हुए भारत विभाजन के समय आडवाणी को अपने प्रियतम स्थान सिंध (अब पाकिस्तान का हिस्सा) को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा। इस त्रासदी की पीड़ा और खुद भोगे हुए कष्टों को अपनी आत्मकथा में आडवाणी ने बड़े ही मार्मिक शब्दों में प्रस्तुत किया है। राष्ट्रसेवा की अपनी लंबी और गौरवपूर्ण यात्रा में आडवाणी ने स्वतंत्र भारत में घट रही प्राय: सभी राजनीतिक एवं सामाजिक घटनाओं पर सूक्ष्म दृष्टि रखी है, और इनमें सक्रिय भागीदारी की है। इस पुस्तक मे�� आडवाणी ने इन्हीं घटनाओं और राष्ट्र-समाज के विभिन्न सरोकारों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है।अपने अग्रज एवं अभिन्न सहयोगी श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कंधे-से-कंधा मिलाते हुए, सरकार बनाने के कांग्रेस पार्टी के वर्चस्व को तोड़ते हुए, भारतीय जनता पार्टी को सशक्त विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने में आडवाणी ने विशेष भूमिका निभाई, जिसका वर्णन पुस्तक में विस्तार से किया गया है।प्रस्तुत पुस्तक आडवाणी द्वारा बड़े ही सशक्त व भावपूर्ण शब्दों में आपातकाल के समय लोकतंत्र के लिए किए गए उनके संघर्ष और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु की गई 'राम रथयात्रा'—जो स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा जन-आंदोलन थी और जिसने पंथनिरपेक्षता के सही अर्थ और मायनों को लेकर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ी—का भी बड़ा ही सटीक विवेचन करती है। साथ ही वर्ष 1998 से 2004 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में गृहमंत्री, एवं फिर, उपप्रधानमंत्री पद पर आडवाणी द्वारा अपने दायित्व के सफल निर्वहन पर भी प्रकाश डालती है।इस पुस्तक ने आडवाणी की राजनीतिक सूझ-बूझ, विचारों की स्पष्टता और अद्भुत जिजीविषा को और संपुष्ट कर दिया है, जिसे उनके प्रशंसक एवं आलोचक—सभी मानते हैं।किसी भी राजनीतिज्ञ के लिए सक्रिय राजनीति में अपने उत्तरदायित्वों को निभाते हुए अपनी आत्मकथा लिखना एक अदम्य साहस एवं जोखिम भरा कार्य है, जिसे आडवाणी ने न केवल कर दिखाया है, बल्कि उसके साथ पूरा न्याय भी किया है। अत: इस पुस्तक का महत्त्व एवं उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________विषय-सूचीआभार — Pgs. xiiiप्रस्तावना — Pgs. xviiमनोगत — Pgs. xxiप्रथम चरण1. स्वतंत्रता का उल्लास, विभाजन की त्रासदी — Pgs. 22. सिंध और भारत : एक अटूट बंधन — Pgs. 113. सिंध में मेरे पहले बीस वर्ष — Pgs. 224. विभाजन : जिम्मेदार कौन? — Pgs. 42दूसरा चरण1. सिंध से राजस्थान प्रस्थान — Pgs. 502. संघ के प्रचारक के रूप में मेरा कार्य — Pgs. 543. महात्मा गांधी की त्रासद हत्या — Pgs. 584. डॉ. मुकर्जी और भारतीय जनसंघ की स्थापना — Pgs. 675. पहले आम चुनावों में भाग लेने का रोमांच — Pgs. 73तीसरा चरण1. राजस्थान से दिल्ली आगमन — Pgs. 802. ऑर्गेनाइजर के वर्ष — Pgs. 863. पारिवारिक जीवन का आनंद — Pgs. 954. दिल्ली मेट्रोपोलिटन काउंसिल में प्रवेश — Pgs. 1035. पं. दीनदयाल उपाध्याय : श्रेष्ठ विचारक, संगठक और नेता — Pgs. 1106. संसदीय जीवन की शुरुआत — Pgs. 1257. कानपुर से कानपुर की यात्रा — Pgs. 1418. दो घटनाएँ, जिन्होंने इतिहास बदल दिया — Pgs. 1569. आपातकाल : कारावास में लोकतंत्र — Pgs. 163चौथा चरण1. भारतीय इतिहास के सर्वाधिक अंधकारपूर्ण कालखंड की समाप्ति — Pgs. 2042. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में मेरा कार्यकाल — Pgs. 2133. जनता के साथ विश्वासघात : जनता पार्टी सरकार का पतन, इंदिरा गांधी की वापसी — Pgs. 2284. कमल का खिलना : भारतीय जनता पार्टी का जन्म — Pgs. 2445. 1980 का दशक : भाजपा की अमर पक्षी जैसी उड़ान — Pgs. 2546. अयोध्या आंदोलन : जब भारत की आत्मा बोल पड़ी — Pgs. 2717. पंजाब की वेदना और विजय — Pgs. 3398. दो वर्षों में दो प्रधानमंत्रियों का आना और जाना — Pgs. 3549. पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के पाँच वर्ष — Pgs. 36510. दो वर्षों में तीन प्रधानमंत्री — Pgs. 38411. स्वर्ण जयंती रथयात्रा : राष्ट्रभक्ति की तीर्थयात्रा — Pgs. 394पाँचवाँ चरण1. एक नए युग का सूत्रपात — Pgs. 4262. कारगिल युद्ध : भारत की एक निर्णायक विजय — Pgs. 4533. राजग की सत्ता में वापसी — Pgs. 4674. भारतीय संविधान के कामकाज की समीक्षा — Pgs. 4755. गृह मंत्रालय की कमान — Pgs. 4866. सीमा पार से आतंकवाद : पाकिस्तान की जिहादी चुनौती और हमारा जवाब — Pgs. 5017. पाकिस्तान का परोक्ष युद्ध : भारत ने कैसे अमेरिका और विश्व को अपने साथ लिया — Pgs. 5208. कश्मीर मुद्दा : दृढ़ता और ईमानदारी से ही हुई प्रगति — Pgs. 5399. आगरा में वाजपेयी-मुशर्रफ शिखर वार्त्ता : इसकी असफलता भारत के लिए अंततः सफलता कैसे रही — Pgs. 56210. भविष्य के लिए असम और उत्तर-पूर्व को सुरक्षित करना — Pgs. 57611. नक्सलवाद : अन्य चुनौतियाँ एवं पहलें — Pgs. 59412. गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा : काल्पनिक प्रचार बनाम यथार्थ — Pgs. 60813. चुनावों में हार, पार्टी में खलबली — Pgs. 61614. मेरी पाकिस्तान यात्रा — Pgs. 63315. मुझे कोई खेद नहीं — Pgs. 66616. अटल बिहारी वाजपेयी : एक कवि हृदय राजनेता — Pgs. 67417. कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर चिंतन — Pgs. 68518. जीवन में सार्थकता एवं सुख की खोज — Pgs. 707उपसंहार — Pgs. 723परिशिष्टपरिशिष्ट-1 :स्वतंत्र भारत का विश्व को संदेश—महर्षि अरविंद — Pgs. 730परिशिष्ट-2 :स्वामी विवेकानंद और भारत का भविष्य—स्वामी रंगनाथानंद — Pgs. 733परिशिष्ट-3 :गाथा दो आपातकालों की—लालकृष्ण आडवाणी — Pgs. 744परिशिष्ट-4 :भाजपा का अयोध्या पर पालमपुर प्रस्ताव — Pgs. 758परिशिष्ट-5 :दि कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स, इकोनॉमिक अफेयर्स ऐंड लॉ द्वारा — Pgs. 761आयोजित समारोह में लालकृष्ण आडवाणी का उद्बोधनपरिशिष्ट-6 :भाजपा : अतीत एवं वर्तमान — Pgs. 767लालकृष्ण आडवाणी द्वारा 18-19 सितंबर, 2005 को भाजपाकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी, चेन्नईसंदर्भ-सूची — Pgs. 769अनुक्रमणिका — Pgs. 781

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