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Meer Bimar Hue
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"मीर बीमार हुए" फ़िक्र तौंसवी की मज़ाहिया मज़ामीन का मज्मूआ है जिसमें ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को बड़ी ही नाज़ुकी से बयान किया गया है। फ़िक्र तौंसवी का व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशद्दुद से, दास्तानों की मसनूइयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।
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I
Inam
Meer Bimar Hue

yah ek shayari ke ustaad ki kavitaon mein vyakt swasthya aur bhavnaon ka sangam jo mujhe bahut pasand aaya - Meer Bimar Hue.

a
aarif
Meer Bimar Hue

Awesome

r
rama
Meer Bimar Hue

really i like it.

A
ANURAG TIWARI
-

I really liked the last order.

v
vineet
मीर बीमार हुए

"मीर बीमार हुए" फ़िक्र तौंसवी की मजेदार मजामीन का मज्मूआ है, जहां वे ज़िन्दगी के छोटे-छोटे हास्यास्पद मोड़ों को बड़ी ही नाजुकी से व्यंग्यपूर्ण तरीके से बयान करते हैं।

फ़िक्र तौंसवी का व्यंग्य आदमी के चारित्रिक गुणों के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस संग्रह को भाषाई और साहित्यिक विनोद से भरा है, जो दास्तानों की मस्नूइयत से भिन्न है। इसके अलावा, वे मजामीन के खोखलेपन और मुनाफ़िकत से इसे बचाते हैं।

"मीर बीमार हुए" एक बेहद मनोहारी पुस्तक है जो हमें गहरी हँसी के साथ सोचने पर मजबूर करती है। फ़िक्र तौंसवी की यह रचना आपको इंसानी नाटकीयता, दोहरापन और समाज के नटखट आयामों को परिभाषित करने का एक अद्वितीय तरीका प्रदान करेगी।

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