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Maut ki Kitab - Khalid Jawed

Khalid Jawed

Rs. 199 Rs. 179

About Book 'मौत की किताब' प्रसिद्ध उर्दू नॉवेल-निगार ख़ालिद जावेद की बहु-चर्चित नॉवेल है जो जिंदगी और मौत के सफों के बीच भरे खालीपन को आवाज देती है| ऊपर से देखने पर यह खुदकुशी के कारण तलाशती किताब लगती है लेकिन गहरे अर्थों में पूरी शिद्दत से दुनिया को जीने... Read More

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A
Adarsh Ahlawat
किताब के बारे में

One of the my best fiction book maut ki kitab shukriya rekhta

r
rahim
Maut ki Kitab - Khalid Jawed

"मौत की किताब" को खरीदकर पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैंने पहले से ही इसे पढ़ लिया है और खरीदा भी है। खालिद जवेद जी की लेखनी बेहद रोचक और विचारजनक है। यह पुस्तक मौत के गहरे विषय पर विचार करती है और मनोवैज्ञानिक और जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों को उजागर करती है। मैं इसे पढ़ने का सभी को अनुशंसा करता हूँ।

J
Jaya Sahu

बेहद खूबसूरत, जीवन और मृत्यु से ऊपर उठकर यह किताब एक अलग विचार देती है।आपका सहृदय धन्यवाद।

N
Nawin Nigam

Maut ki Kitab - Khalid Jawed

C
Chhagan meena press repoter
मौत की किताब

मां चामुंडा ग्राफिक्स तहसील रोड शिवगंज जिला सिरोही
9982997301

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About Book

'मौत की किताब' प्रसिद्ध उर्दू नॉवेल-निगार ख़ालिद जावेद की बहु-चर्चित नॉवेल है जो जिंदगी और मौत के सफों के बीच भरे खालीपन को आवाज देती है| ऊपर से देखने पर यह खुदकुशी के कारण तलाशती किताब लगती है लेकिन गहरे अर्थों में पूरी शिद्दत से दुनिया को जीने लायक खूबसूरत बनाने की वकालत करती है| 'मौत की किताब' के अंतिम के कुछ पृष्ठ अलिखित हैं जो संभावनाओं और सोच के तारों को अनंत विस्तार देते हैं. अपने इन सादे पन्नों से जिंदगी के शून्य को यह किताब व्याख्यायित करती है|

About Author

ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|

Title: Maut ki Kitab | मौत की किताब 

Author: Khalid Jawed | ख़ालिद जावेद


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ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|

Description

About Book

'मौत की किताब' प्रसिद्ध उर्दू नॉवेल-निगार ख़ालिद जावेद की बहु-चर्चित नॉवेल है जो जिंदगी और मौत के सफों के बीच भरे खालीपन को आवाज देती है| ऊपर से देखने पर यह खुदकुशी के कारण तलाशती किताब लगती है लेकिन गहरे अर्थों में पूरी शिद्दत से दुनिया को जीने लायक खूबसूरत बनाने की वकालत करती है| 'मौत की किताब' के अंतिम के कुछ पृष्ठ अलिखित हैं जो संभावनाओं और सोच के तारों को अनंत विस्तार देते हैं. अपने इन सादे पन्नों से जिंदगी के शून्य को यह किताब व्याख्यायित करती है|

About Author

ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|

Title: Maut ki Kitab | मौत की किताब 

Author: Khalid Jawed | ख़ालिद जावेद


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ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|

Additional Information
Book Type

Default title

Publisher Rekhta Publications
Language Hindi
ISBN 978-9391080020
Pages 160
Publishing Year 2021

Maut ki Kitab - Khalid Jawed

About Book

'मौत की किताब' प्रसिद्ध उर्दू नॉवेल-निगार ख़ालिद जावेद की बहु-चर्चित नॉवेल है जो जिंदगी और मौत के सफों के बीच भरे खालीपन को आवाज देती है| ऊपर से देखने पर यह खुदकुशी के कारण तलाशती किताब लगती है लेकिन गहरे अर्थों में पूरी शिद्दत से दुनिया को जीने लायक खूबसूरत बनाने की वकालत करती है| 'मौत की किताब' के अंतिम के कुछ पृष्ठ अलिखित हैं जो संभावनाओं और सोच के तारों को अनंत विस्तार देते हैं. अपने इन सादे पन्नों से जिंदगी के शून्य को यह किताब व्याख्यायित करती है|

About Author

ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|

Title: Maut ki Kitab | मौत की किताब 

Author: Khalid Jawed | ख़ालिद जावेद


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ख़ालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं| 9 मार्च, 1963 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे ख़ालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं| इन्होंने रूहेलखंड विश्विद्यालय में पाँच साल तक दर्शनशास्त्र का अध्यापन कार्य किया है और वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं| इनके तीन कहानी-संग्रह और दो उपन्यास 'मौत की किताब' तथा 'ने'मतख़ाना' प्रकाशित हो चुके हैं| कहानी 'बुरे मौसम' के लिए इन्हें 'कथा-सम्मान' मिल चुका है| वर्जीनिया में आयोजित वर्ल्ड लिटरेचर कॉफ़्रेंस-2008 में इन्हें कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया| 2012 में कराची लिटरेचर फेस्टिवल में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया| इनकी कहानी 'आख़िरी दावत' अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन लिटरेचर डिपार्टमेंट के कोर्स में शामिल है| विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में होता रहा है| इनकी दो आलोचना की पुस्तकें 'गैर्ब्रियल  गार्सिया मारकेज़' और 'मिलान कुंदेरा' भी प्रकाशित हो चुकी हैं|