Marwar ka Itihas – I, II
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Author | Vishveshwer Nath Reu |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthaghar |
Pages | NA |
ISBN | 978-9387297722 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
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Marwar ka Itihas – I, II
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मारवाड़ का इतिहास 8211; I, II : क्षेत्रफल की दृष्टि से स्वतंत्रता पूर्व के राजपूताना के सबसे बड़े और हैदराबाद तथा कश्मीर के पश्चात् भारत के देशी रजवाड़ों में सबसे बड़े मारवाड़ राज्य का विश्वसनीय इतिहास ई.सं. 1940 में प्रकाशित हुआ। इतिहासवेत्ता पं. विश्वेश्वरनाथ रेउ द्वारा लिखित प्रस्तुत ग्रन्थ ‘मारवाड़ का इतिहास’ राठौड़ नरेशों तथा मारवाड़ की जनता की शौर्यपूर्ण यश गाथा का संग्रहणीय दस्तावेज है। पंडित विश्वेश्वरनाथ रेउ संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के अच्छे ज्ञाता थे। पुरातत्त्व विभाग के अधीक्षक होने के कारण उन्हें अनेक उत्खनन क्षेत्रों का निरीक्षण कर आवश्यक सामग्री का उपयोग करने के अवसर प्राप्त हुए। जोधपुर राज्य के संरक्षण से रेउजी को महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक सम्मेलनों में भाग लेकर समकालीन विद्वानों से विचार-विमर्श करने तथा नवीनतम ऐतिहासिक शोध-खोज से अवगत होने के अवसर मिले। राजकीय साधनों का उपयोग सुलभ होने से उन्हें डिंगल व फारसी के विद्वानों का सहयोग तथा देश-विदेश के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ, पत्र-पत्रिकाएँ हर क्षण उपलब्ध थे। अपने ज्ञान, राजकीय संरक्षण, सहयोग और साधनों के बल पर रेउजी द्वारा रचित ‘मारवाड़ का इतिहास’ अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रन्थ बन गया है। ऐतिहासिक प्रवादों, कवियों, कविताओं और मारवाड़ की सांस्कृतिक विशेषताओं को इस ग्रन्थ के कलेवर में समाहित कर रेउजी ने इस ग्रन्थ को मारवाड़ की सांस्कृतिक थाती का रूप दे दिया है।‘मारवाड़ का इतिहास’ के प्रथम भाग में प्रारम्भ से महाराजा भीमसिंहजी (1803 ई.) तक का इतिहास वर्णित है। इस भाग में मारवाड़ की भौगोलिक स्थिति, पौराणिक काल, ऐतिहासिक काल, मुस्लिम आक्रमणों, जोधपुर के राष्ट्रकूट नरेशों के वंशजों का विद्या प्रेम, दानशीलता, धर्म, कला कौशल प्रेम आदि के विवरण के पश्चात् राव सीहाजी से महाराजा भीमसिंह तक की 31 पीढ़ियों के इतिहास का वर्णन किया गया है।जोधपुर नगर के संस्थापक राव जोधा आरम्भिक नरेशों में सर्वाधिक महत���त्वपूर्ण राव मालदेव, महाराणा प्रताप के समकक्ष स्वतंत्रा प्रेमी राव चन्द्रसेन तथा मोटे राजा उदयसिंह, महाराजा जसवंतसिंह, दुर्गादास के नेतृत्व में मारवाड़ के स्वतंत्रता संग्राम, महाराजा अभयसिंह, रामसिंह, बखतसिंह, विजयसिंह तथा भीमसिंह कालीन इतिहास का प्रमाणिक साधनों पर आधारित वर्णन प्रथम भाग के कलेवर में सम्मिलित है। सभी शासकों के चित्रों से ग्रन्थ का महत्व और अधिक बढ़ गया है।‘मारवाड़ का इतिहास’ के द्वितीय भाग में महाराजा मानसिंह से राजराजेश्वर महाराजाधिराज सर उम्मेदसिंहजी तक के इतिहास का विस्तृत वर्णन है। महाराजा मानसिंह के काल की प्रमुख घटनाओं का अत्यन्त रोक तथा प्रमाणिक इतिहास द्वितीय भाग के कलेवर का विशेष उल्लेखनीय अंग है। इस भाग में दस परिशिष्ट समाहित है। मारवाड़ नरेशों द्वारा दान नहीं दिए गए गाँव, मारवाड़ राज्य के महत्वपूर्ण महकमों का वर्णन, जागीरदारों पर लगने वाले महत्त्वपूर्ण कर, मारवाड़ राज्य द्वारा दी जाने वाली ताजीमों तथा सिरोपावों का वर्णन, मारवाड़ के सिक्के तथा उस पर अंकित लेख, राव अमरसिंह राठौड़, मारवाड़ नरेशों की तरफ से विभिन्न युद्धों में लड़ कर मारे गए वीरों के नाम तथा अन्य राज्यों के राठौड़ नरेशों के वंश वृक्ष से सम्बन्धित परिशिष्ठों से द्वितीय भाग का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया। प्रथम भाग की भांति द्वितीय भाग में भी अनेक महत्वपूर्ण दुर्लभ चित्र दिए गऐ हैं।पंडित विश्वेश्वरनाथ रेउ के इस इतिहास ग्रन्थ का महत्व सुस्थापित है ही इसलिए यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यह ग्रन्थ राजस्थान और भारत के इतिहास में रुचि रखने वाले सभी महानुभावों के साथ ही मारवाड़ के गौरव में आस्था रखने वाले सज्जनों के लिये सहेज कर रखने योग्य सिद्ध होगा।RelatedTRUE
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