Main Sai Baba Bol Raha Hoon
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Item Weight | 175 Grams |
ISBN | 978-9352669080 |
Author | Parul Priya |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Paperback |
Publishing year | 2018 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Main Sai Baba Bol Raha Hoon
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श्री साईं बाबा के माता-पिता, उनके जन्म और जन्मस्थान के बारे में किसी को भी ज्ञान नहीं है। इस संबंध में बहुत छानबीन की गई। बाबा से तथा अन्य लोगों से भी इस विषय में जानकारी ली गई, परंतु कोई संतोषप्रद उत्तर अथवा सूत्र हाथ न लग सका।नामदेव और कबीरदास का जन्म भी सामान्य लोगों की भाँति नहीं हुआ था। वे बालरूप में प्रकृति की गोद में पाए गए थे और ऐसा ही साईं बाबा के संबंध में भी था। वे शिरडी में नीम वृक्ष के तले सोलह वर्ष की तरुणावस्था में भक्तों के कल्याणार्थ प्रकट हुए थे।वे कफनी पहनते, लँगोट बाँधते और कपड़े के एक टुकड़े से सिर ढकते थे। वे आसन तथा शयन के लिए एक टाट का टुकड़ा काम में लाते थे। इस प्रकार फटे-पुराने चीथड़े पहनकर वे बहुत संतुष्ट प्रतीत होते थे। वे सदैव यही कहा करते थे—'गरीबी अव्वल बादशाही, अमीरी से लाख सवाई, गरीबों का अल्लाह भाई।'मानवता, करुणा, परोपकार, पारस्परिकता व जनकल्याण का अनुपम संदेश देनेवाले शिरडी के साईं बाबा के अनमोल वचन और अमर वाणी का प्रेरणाप्रद संकलन।___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम 1. बाबा की जीवन-कथा — Pg. 9निंदा संबंधी उपदेश — Pg. 752. बाबा के अमृत वचन — Pg. 17भक्ति का बीजारोपण — Pg. 763. बाबा के कुछ दृष्टांत — Pg. 55परिश्रम के लिए मजदूरी — Pg. 77बाबा की विनम्रता — Pg. 55क्या सभी को लाभ पहुँचता है? — Pg. 78बाबा का क्रोध — Pg. 55बाबा द्वारा गीता के एक श्लोक की टीका — Pg. 78बस, शांत हो जाओ — Pg. 56मैं तो गली-गली में रहनेवाला हूँ — Pg. 82नीचे उतरो, शांत हो जाओ — Pg. 56लोग यहाँ चींटियों की तरह रेंगते हुए आएँगें — Pg. 82अपना प्रयाग तो यहीं है — Pg. 57हाजी सिद्दीक फालके की कथा — Pg. 82केवल गुरु में विश्वास ही पर्याप्त है — Pg. 57कुछ गेरू लाना, आज भगुवा वस्त्र रँगेंगे — Pg. 84गुरु की आवश्यकता क्यों है? — Pg. 59एक डॉक्टर की कथा — Pg. 86भूख सबकी एक सदृश ही है — Pg. 60अमीर शक्कर के प्राणों की रक्षा — Pg. 87बाबा का संतोषपूर्वक भोजन — Pg. 6172 घंटे की समाधि — Pg. 89बाबा की सर्वव्यापकता और दयालुता — Pg. 61बाबा की महानता — Pg. 90भक्तों के कष्ट मेरे हैं — Pg. 62इंद्रियों को अपना कार्य करने दो — Pg. 91मध्याह्न की आरती के पश्चात् का कार्यक्रम — Pg. 63बाबा का विनोद — Pg. 92व्यर्थ बैठने से कुछ लाभ न होगा — Pg. 63बाबा की अद्वितीय शिक्षा पद्धति — Pg. 93कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए — Pg. 65सीमोल्लंघन — Pg. 96संन्यासी को सद्गति — Pg. 66बाबा के अंतिम शब्द — Pg. 97उपवास की आवश्यकता ही क्या है? — Pg. 68बाबा के ग्यारह वचन — Pg. 98बाबा के सरकार — Pg. 694. साईं बाबा की आरतियाँ — Pg. 100पवित्र रुपया — Pg. 70काकड आरती — Pg. 100बाबा की विचित्र नीति — Pg. 71मध्याह्न आरती — Pg. 104गंगा-स्नान — Pg. 72धूप आरती — Pg. 106दो छिपकलियों का मिलन — Pg. 73शयन आरती — Pg. 109ब्रह्मदर्शन — Pg. 74
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