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Mahke Aagan Chahke Dwar

Kanhaiya Lal Mishr Prabhakar

Rs. 150 – Rs. 200

महके आँगन चहके द्वार - 'महके आँगन चहके द्वार' वैवाहिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर दृष्टि डालता है। यह सत्य है कि वैवाहिक जीवन का आरम्भ भावुकता में होता है पर उसकी पूर्णता एक यथार्थ है। भावुकता और यथार्थ में सामंजस्य स्थापित करने की कला ही सुखमय दाम्पत्य की कुंजी... Read More

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Rs. 150
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महके आँगन चहके द्वार - 'महके आँगन चहके द्वार' वैवाहिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर दृष्टि डालता है। यह सत्य है कि वैवाहिक जीवन का आरम्भ भावुकता में होता है पर उसकी पूर्णता एक यथार्थ है। भावुकता और यथार्थ में सामंजस्य स्थापित करने की कला ही सुखमय दाम्पत्य की कुंजी है। यह सामंजस्य रिश्तों में सन्तुलन बनाता है और जीवन को सरल और सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाता है। यह पुस्तक इन्हीं मनोभावों के आस-पास घूमती है और कथा के माध्यम से पात्रों के जीवन को पाठकों के समक्ष रखती है।दाम्पत्य जीवन के गाढ़े अनुभवों जिनमें कभी मधुरता तो कभी कटुता भी आ जाती है और चिन्तन से परिपूर्ण यह कृति लेखक की पारम्परिक उपलब्धियों में से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। और यही क्यों, यदि व्यापक परिप्रेक्ष्य में इसी बात को देखें, समझें तो यह कृति पूरी सामाजिक स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति एक विनियोग भी है। आदि से अन्त तक एकसूत्रित और अति रोचक।
Description
महके आँगन चहके द्वार - 'महके आँगन चहके द्वार' वैवाहिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर दृष्टि डालता है। यह सत्य है कि वैवाहिक जीवन का आरम्भ भावुकता में होता है पर उसकी पूर्णता एक यथार्थ है। भावुकता और यथार्थ में सामंजस्य स्थापित करने की कला ही सुखमय दाम्पत्य की कुंजी है। यह सामंजस्य रिश्तों में सन्तुलन बनाता है और जीवन को सरल और सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाता है। यह पुस्तक इन्हीं मनोभावों के आस-पास घूमती है और कथा के माध्यम से पात्रों के जीवन को पाठकों के समक्ष रखती है।दाम्पत्य जीवन के गाढ़े अनुभवों जिनमें कभी मधुरता तो कभी कटुता भी आ जाती है और चिन्तन से परिपूर्ण यह कृति लेखक की पारम्परिक उपलब्धियों में से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। और यही क्यों, यदि व्यापक परिप्रेक्ष्य में इसी बात को देखें, समझें तो यह कृति पूरी सामाजिक स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति एक विनियोग भी है। आदि से अन्त तक एकसूत्रित और अति रोचक।

Additional Information
Book Type

Paperback, Hardbound

Publisher Jnanpith Vani Prakashan LLP
Language Hindi
ISBN 978-8126340606
Pages 208
Publishing Year 2019

Mahke Aagan Chahke Dwar

महके आँगन चहके द्वार - 'महके आँगन चहके द्वार' वैवाहिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर दृष्टि डालता है। यह सत्य है कि वैवाहिक जीवन का आरम्भ भावुकता में होता है पर उसकी पूर्णता एक यथार्थ है। भावुकता और यथार्थ में सामंजस्य स्थापित करने की कला ही सुखमय दाम्पत्य की कुंजी है। यह सामंजस्य रिश्तों में सन्तुलन बनाता है और जीवन को सरल और सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाता है। यह पुस्तक इन्हीं मनोभावों के आस-पास घूमती है और कथा के माध्यम से पात्रों के जीवन को पाठकों के समक्ष रखती है।दाम्पत्य जीवन के गाढ़े अनुभवों जिनमें कभी मधुरता तो कभी कटुता भी आ जाती है और चिन्तन से परिपूर्ण यह कृति लेखक की पारम्परिक उपलब्धियों में से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। और यही क्यों, यदि व्यापक परिप्रेक्ष्य में इसी बात को देखें, समझें तो यह कृति पूरी सामाजिक स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति एक विनियोग भी है। आदि से अन्त तक एकसूत्रित और अति रोचक।