Madhyakaleen Bodh Ka Swaroop
Regular price
₹ 445
Sale price
₹ 445
Regular price
₹ 495
Unit price
Save 10%
Item Weight | 0.3 |
ISBN | 978-8126707515 |
Author | Hazariprasad Dwivedi |
Language | Hindi |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Pages | 120 |
Dimensions | 22*14*1 |
Publishing year | 1970 |
Edition | 4th |

Madhyakaleen Bodh Ka Swaroop
Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
मध्यकाल को उसके सही परिप्रेक्ष्य में समझने-समझाने के लिए आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने जो साधना की थी, वह अभूतपूर्व है, स्वयं द्विवेदी जी के शब्द
उधार लेकर कहें तो ‘असाध्य साधन’ है। उनके कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इसी असाध्य साधन को हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं, और मध्यकालीन बोध का स्वरूप उनमें विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य द्विवेदी के पाँच व्याख्यान संकलित हैं, जो उन्होंने टैगोर प्रोफ़ेसर के नाते पंजाब विश्वविद्यालय में दिए थे। इन व्याख्यानों में आचार्य द्विवेदी ने सबसे पहले तो यह स्पष्ट किया है कि ‘मध्यकाल’ से क्या तात्पर्य है और फिर मध्यकालीन साहित्यबोध का विस्तार से विवेचन किया है। इस सारे विवेचन से न केवल मध्यकाल और मध्यकालीन बोध की अवधारणा को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है, बल्कि आधुनिक बोध को समझने में भी बड़ी सहायता मिलती है। डॉ. इन्द्रनाथ मदान के शब्दों में—“मध्यकालीन बोध को समझे बिना आधुनिक बोध को समझना मेरे लिए कठिन और अधूरा था। परम्परा में डूब जाना एक बात है, लेकिन परम्परा से कट जाना दूसरी बात। इसका मतलब मध्यकालीनता से जुड़ना भी नहीं है, लेकिन इसे हठवश नकारकर आधुनिकता को समझना कम-से-कम मुझे मुश्किल लगा है। इन व्याख्यानों की सहायता से आधुनिक बोध अधिक स्पष्ट होने लगता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने अपने निष्कर्षों को ठोस आधार दिया है, मध्यकालीन साहित्य इनकी रगों में समाया हुआ है। यह कैसे और किस तरह है—इसके बारे में इनके व्याख्यान बोलेंगे, हम नहीं।”
उधार लेकर कहें तो ‘असाध्य साधन’ है। उनके कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इसी असाध्य साधन को हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं, और मध्यकालीन बोध का स्वरूप उनमें विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य द्विवेदी के पाँच व्याख्यान संकलित हैं, जो उन्होंने टैगोर प्रोफ़ेसर के नाते पंजाब विश्वविद्यालय में दिए थे। इन व्याख्यानों में आचार्य द्विवेदी ने सबसे पहले तो यह स्पष्ट किया है कि ‘मध्यकाल’ से क्या तात्पर्य है और फिर मध्यकालीन साहित्यबोध का विस्तार से विवेचन किया है। इस सारे विवेचन से न केवल मध्यकाल और मध्यकालीन बोध की अवधारणा को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है, बल्कि आधुनिक बोध को समझने में भी बड़ी सहायता मिलती है। डॉ. इन्द्रनाथ मदान के शब्दों में—“मध्यकालीन बोध को समझे बिना आधुनिक बोध को समझना मेरे लिए कठिन और अधूरा था। परम्परा में डूब जाना एक बात है, लेकिन परम्परा से कट जाना दूसरी बात। इसका मतलब मध्यकालीनता से जुड़ना भी नहीं है, लेकिन इसे हठवश नकारकर आधुनिकता को समझना कम-से-कम मुझे मुश्किल लगा है। इन व्याख्यानों की सहायता से आधुनिक बोध अधिक स्पष्ट होने लगता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने अपने निष्कर्षों को ठोस आधार दिया है, मध्यकालीन साहित्य इनकी रगों में समाया हुआ है। यह कैसे और किस तरह है—इसके बारे में इनके व्याख्यान बोलेंगे, हम नहीं।”
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.
You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.