Madhvi abhushan se chhitka swarnkarn
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Author | Amita Neerav |
Language | Hindi |
Publisher | Setu prakashan |
Pages | 632 |
ISBN | 978-93-91277-70-3 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.455 kg |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Edition | 1st |
Madhvi abhushan se chhitka swarnkarn
About Book
'माधवी : आभूषण से छिटका स्वर्णकण' अपनी शाब्दिक अर्थवत्ता में ही एक स्त्री की खण्ड-खण्ड नियति का दस्तावेज है, जिसे अमिता नीरव की लेखनी ने और अधिक प्रामाणिक, मार्मिक, गहरा और श्लेषपूर्ण बना दिया है। उपन्यास में उसके पात्रों के बीच के संवाद और उन पात्रों की तकलीफ और तनावों का बाहर आते जाना, इन पात्रों का पारस्परिक संवादों के माध्यम से संसार को पहचानना, परखना, मेरे पाठक के कान में फुसफुसाता रहा, दोहराता रहा कि उपन्यास को किसी ऐसे आत्मीय, अन्तरंग स्थल की तरह भी देखा जा सकता है, जहाँ लोग एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होते हैं, बतियाते हैं, बहस करते हैं। अपने सामाजिक और सभ्यता-बोध में उतनी ही प्रखर कृति जितनी अपने भाषा-बोध में। पौराणिक परिवेश और पात्रों के अनुकूल खड़ी होती जाती रचनाकार की भाषिक संरचनाएँ, रचनाकार के पैशन और परिश्रम से हमारी पहचान करवाती हैं। यह कथा किसी लघु मानव की कथा न होकर, एक संवेदनशील स्त्री की कथा मालूम होती है, जिसने उऋण होने को ही अपने जीवन की सार्थकता समझ लिया है। इस अर्थ में माधवी ही नहीं पुरु और गालव भी इस चक्रवात में फँसे और छटपटाते दिखाई देते हैं। बाद के युगों में यह भाव हमें प्रकारान्तर से एकलव्य और कर्ण में अवश्य दिखाई देता है। किन्तु माधवी के पूर्वकाल में यह प्रायः विरल ही है।
'माधवी...' के रचनाकार के भीतर तरह-तरह के जीवन्त और ज्वलन्त सवाल घूमते-घुमड़ते रहते हैं, कभी रचनाकार की प्रश्नाकुलता उसे हमारे समाज में स्त्री की दूसरे दर्जे की नागरिकता के सामने खड़ा करती है तो कभी पुरुष प्रधान समाज में बढ़ती हुई बर्बर प्रवृत्तियों पर। कभी रचनाकार की निगाहें मानवीय मूल्यों के पतन पर ठिठकती है तो कभी उन मूल्यों के लिए लड़ रहे विश्वासों पर ठहरती है। माधवी की कथा जीवन के विरोधाभासों की कथा है। इसमें ययाति जैसा स्वकेन्द्रित, आत्ममोहित और परपीड़क महापात्र भी है तो गालव और माधवी जैसे कर्तव्यनिष्ठ, आज्ञाकारी और ऋणमुक्ति के नैतिक दबाव से ग्रस्त पात्र भी हैं।
About Author
अमिता नीरव
जन्म : 1 मार्च (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए., एम. फिल., पी-एच.डी. (राजनीति विज्ञान), ज्यां पॉल सार्त्र और अल्बेयर काम के अस्तित्ववादी विचारों का तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर पी-एच.डी.।
प्रकाशन : पहला कहानी-संग्रह 'तुम जो बहती नदी हो' 2018 में प्रकाशित, माधवी (उपन्यास)। हिन्दी के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों, अमिता नीरव लेख और यात्रा-संस्मरणों का प्रकाशन। साहित्यिक पोर्टल्स पर भी कहानियों और लेखों का प्रकाशन। आईसेक्ट प्रकाशन द्वारा भारत के हिन्दी कथाकारों पर 18 खण्डों में प्रकाशित कथादेश संचयन में कहानी सम्मिलित। आकाशवाणी में कहानियों, कविताओं और ब्लॉग्स का नियमित प्रसारण।
पुरस्कार : कहानी-संग्रह 'तुम जो वहती नदी हो' को 2020 का मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन भोपाल का प्रतिष्ठित वागीश्वरी पुरस्कार, 'ह्युमन डिग्निटी एण्ड ह्युमिलिएशन स्टडीज' की ओर से 'बेकन ऑफ डिग्निटी अवार्ड'।
अनुभव : विभिन्न महाविद्यालयों में प्राध्यापन, 16 साल पत्रकारिता का अनुभव। फिलहाल एसोसिएट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान)।
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