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Lockdown

Dhanyakumar Jinpal Birajdar

Rs. 199 – Rs. 250

लॉकडाउन - हमारा समाज और इस समाज में रहने वाले मनुष्य जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में अपने अस्तित्व के सत्य की पहचान करते हैं। लेकिन जीवन हर समय एक समान नहीं रहता। बीते काफ़ी समय से ऐसी ही स्थितियों के कारण न केवल हमारे समाज बल्कि... Read More

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लॉकडाउन - हमारा समाज और इस समाज में रहने वाले मनुष्य जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में अपने अस्तित्व के सत्य की पहचान करते हैं। लेकिन जीवन हर समय एक समान नहीं रहता। बीते काफ़ी समय से ऐसी ही स्थितियों के कारण न केवल हमारे समाज बल्कि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। देखा जाये तो संकट और भय की वह स्थिति अभी भी मानव समाज पर एक तलवार की तरह ही लटकी हुई है। सम्पूर्ण मानव इतिहास के लिए जीवन और जीवन से जुड़े विषय चिन्ता का विषय बन गये। समाज का प्रत्येक वर्ग किसी न किसी तरह इससे अवश्य प्रभावित हुआ है। हर क्षेत्र, उद्योग, कारखाने और यहाँ तक की मज़दूरी कार्य भी कोरोना कालचक्र की गम्भीर स्थिति से गुज़रा। यह संग्रह उसी समय को चिन्हित कर रहा है। इस संग्रह में शामिल सभी सोलह कहानियाँ पाठकों को उन पात्रों के जीवन में दाख़िल होने देती हैं जो अपना सामाजिक दायित्व निभाना चाहते हैं। इन कहानियों में ऐसे पात्र भी उपस्थित हैं जो महामारी के इस आपातकाल में अपने आस-पास के समाज की ख़राब मानसिकता का शिकार भी होते हैं।संग्रह की सभी कहानियाँ अपने समय को दर्ज करती हैं और यह कहने की कोशिश करती हैं कि समय सबकुछ है। लेखक ने अपने विवेक का प्रयोग करते हुए कोरोना काल को अपनी क़लम द्वारा कहानियों के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है। यह सभी कहानियाँ उन क्षणों की साक्षी हैं जिनका सामना करने को सम्पूर्ण मानव सभ्यता अभिशप्त है।
Description
लॉकडाउन - हमारा समाज और इस समाज में रहने वाले मनुष्य जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में अपने अस्तित्व के सत्य की पहचान करते हैं। लेकिन जीवन हर समय एक समान नहीं रहता। बीते काफ़ी समय से ऐसी ही स्थितियों के कारण न केवल हमारे समाज बल्कि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। देखा जाये तो संकट और भय की वह स्थिति अभी भी मानव समाज पर एक तलवार की तरह ही लटकी हुई है। सम्पूर्ण मानव इतिहास के लिए जीवन और जीवन से जुड़े विषय चिन्ता का विषय बन गये। समाज का प्रत्येक वर्ग किसी न किसी तरह इससे अवश्य प्रभावित हुआ है। हर क्षेत्र, उद्योग, कारखाने और यहाँ तक की मज़दूरी कार्य भी कोरोना कालचक्र की गम्भीर स्थिति से गुज़रा। यह संग्रह उसी समय को चिन्हित कर रहा है। इस संग्रह में शामिल सभी सोलह कहानियाँ पाठकों को उन पात्रों के जीवन में दाख़िल होने देती हैं जो अपना सामाजिक दायित्व निभाना चाहते हैं। इन कहानियों में ऐसे पात्र भी उपस्थित हैं जो महामारी के इस आपातकाल में अपने आस-पास के समाज की ख़राब मानसिकता का शिकार भी होते हैं।संग्रह की सभी कहानियाँ अपने समय को दर्ज करती हैं और यह कहने की कोशिश करती हैं कि समय सबकुछ है। लेखक ने अपने विवेक का प्रयोग करते हुए कोरोना काल को अपनी क़लम द्वारा कहानियों के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है। यह सभी कहानियाँ उन क्षणों की साक्षी हैं जिनका सामना करने को सम्पूर्ण मानव सभ्यता अभिशप्त है।

Additional Information
Book Type

Paperback, Hardbound

Publisher Jnanpith Vani Prakashan LLP
Language Hindi
ISBN 978-9355185761
Pages 126
Publishing Year 2022

Lockdown

लॉकडाउन - हमारा समाज और इस समाज में रहने वाले मनुष्य जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में अपने अस्तित्व के सत्य की पहचान करते हैं। लेकिन जीवन हर समय एक समान नहीं रहता। बीते काफ़ी समय से ऐसी ही स्थितियों के कारण न केवल हमारे समाज बल्कि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। देखा जाये तो संकट और भय की वह स्थिति अभी भी मानव समाज पर एक तलवार की तरह ही लटकी हुई है। सम्पूर्ण मानव इतिहास के लिए जीवन और जीवन से जुड़े विषय चिन्ता का विषय बन गये। समाज का प्रत्येक वर्ग किसी न किसी तरह इससे अवश्य प्रभावित हुआ है। हर क्षेत्र, उद्योग, कारखाने और यहाँ तक की मज़दूरी कार्य भी कोरोना कालचक्र की गम्भीर स्थिति से गुज़रा। यह संग्रह उसी समय को चिन्हित कर रहा है। इस संग्रह में शामिल सभी सोलह कहानियाँ पाठकों को उन पात्रों के जीवन में दाख़िल होने देती हैं जो अपना सामाजिक दायित्व निभाना चाहते हैं। इन कहानियों में ऐसे पात्र भी उपस्थित हैं जो महामारी के इस आपातकाल में अपने आस-पास के समाज की ख़राब मानसिकता का शिकार भी होते हैं।संग्रह की सभी कहानियाँ अपने समय को दर्ज करती हैं और यह कहने की कोशिश करती हैं कि समय सबकुछ है। लेखक ने अपने विवेक का प्रयोग करते हुए कोरोना काल को अपनी क़लम द्वारा कहानियों के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है। यह सभी कहानियाँ उन क्षणों की साक्षी हैं जिनका सामना करने को सम्पूर्ण मानव सभ्यता अभिशप्त है।