Kul Devi Shri Tanot (Aawad) Mata Ka Itihas
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-9394649323 |
Author | Dr. Narendra Singh Charan |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthagar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |
Publishing year | 2022 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Kul Devi Shri Tanot (Aawad) Mata Ka Itihas
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कुल देवी श्री तनोट (आवड़) माता का इतिहासराजपूत युग के प्रारम्भ के साथ ही वि.सं. 808 चैत्र सुदी नवमी मंगलवार के दिन मामड़ियाजी चारण के घर भगवती श्रीतनोट (आवड़) माता का जन्म हुआ, also जो इतिहास में बावन नामों से प्रसिद्ध हुई। उन्होंने जन्म से लेकर ज्योतिर्लीन होने तक अनेक परचे दिये, जिसके कारण उनकी प्रसिद्ध सम्पूर्ण भारत वर्ष में हुई। श्रीआवड़ादि सातों बहिनों व भाई मेहरख जी (खेतरपाल जी) के परचों व परवाड़ों पर लेखक ने बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रकाश डाला है। भगवती श्रीतनोट (आवड़) माता का विराट व्यक्तिव था, जिसके कारण वे राजपूतों, चारणों एवं हिन्दुओं के ज्यादातर जातियों की कुल देवी या आराध्य देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। उनके द्वारा हाकरा दरियाव का शोषण करना, सूरज को अपनी लोवड़ी की ओट में सोलह प्रहर तक रोकना, बावन देत्यों (हूणों) का संहार करना, भाटियों के राज्य को स्थायित्व देने में मदद करना आदि उनके प्रमुख परचे है। Tanot (Aawad) Mata ItihasTanot (Aawad) Mata Itihassurely श्रीतनोट (आवड़) माता द्वारा सिन्ध के सूमराओं के राज्य का नाश करके सम्माओं को वहाँ का शासक बनवाया और उनकी आशा पुरी की। इसलिए उस समय से सम्माओं ने व उनके वंशज जाडेचा ने श्रीतनोट (आवड़) माता को अपनी कुल देवी माना तथा सिन्ध विजय की उनकी आशा पुरी करने के कारण उन्हें आशापुरा कहा गया। सूमराओं के पतन के सम्बन्ध में एक सिन्ध भाषा का पुराना दोहा मिलता है जो निम्नानुसार हैः-जिन्ना जूहर बळेआ, चूढ़ चूंथेआ चकार।राज न किन्ना सूमराओं, तिन्ना दे परवार।।i.e. अर्थात् जिसने धरने पर बैठे हुए चारणों पर अत्याचार किया उनके जौहर, झंवर जलाया एवं चारणों के नेसडों को कुचल कर लूटा, वे सूमरा राज्य का भोग नहीं कर सके, उनका राज्य न रहा। सिन्ध की धरती ने एवं देवी आवड़ माता ने उनकों अस्वीकार करते हुए उनका नाश कर दिया।in short आवड़ माता ने सूरज को सोलह प्रहर तक रोक दिया था, जिसके सम्बध में एक दोहा इस प्रकार मिलता हैः-surprisingly सोह बखानां चारण, मुरधर देश वचाळ।सूरज किणी न ढापियो, हेकण आवड़ टाळ।।so इस प्रकार उन्होंने 191 वर्ष तक अपने भौतिक शरीर को धारण किया तत्पश्चात् श्रीतनोट (आवड़) माता वि.स. 999 की माघ सुदी सप्तमी को तेमडाराय पर्वत पर से सातों देवियों तांरग शिला पर बैठकर आलोप हो गई।click >> अन्य सम्बन्धित पुस्तकेंclick >> YouTube कहानियाँRelatedTRUE
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