Kritaghn
Author | Ramesh Pokhriyal Nishank |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351862260 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.2 kg |
Edition | 1st |
Kritaghn
व्यक्ति में जब समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ललक उठती है तो वह बिना किसी की चिंता किए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। लेकिन हमारे ही समाज का एक तबका ऐसा भी है, जो हर चीज के प्रति हमेशा नकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखता है। खासकर अच्छा करनेवालों के मार्ग पर अनेक तरह की बाधाएँ खड़ी करके उन्हें विचलित करता रहता है। अंबुज के साथ भी ऐसा ही हुआ, उसको उसके लक्ष्य से भटकाने के लिए दुश्मनों द्वारा ही नहीं बल्कि खुद उसकी संस्था के ही कर्मियों द्वारा अनेक कुचक्र रचे गए।सच्चाई और सत्कर्म के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को कई बार अँधेरी सुरंगों से भी गुजरना होता है, तब ऐसा लगता है कि यह रास्ता शायद उचित नहीं है, लेकिन अँधेरी सुरंग के पार सुहानी सुबह की स्वर्णिम रश्मियाँ अपना प्रकाश बिखेरे रहती हैं।प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की सशक्त लेखनी का एक और मील का पत्थर है यह उपन्यास 'कृतघ्न', जो समाज के अच्छे और बुरे, दोन���ं पहलुओं को उजागर करती तथा टूटते-बिखरते और फिर जुड़ते रिश्तों की बानगी देता है।
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