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Koi Mai Jhoot Boliya
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प्रेम जनमेजय व्यंग्य-लेखन के परंपरागत विषयों में स्वयं को सीमित करने में विश्वास नहीं करते हैं। उनका मानना है कि व्यंग्य लेखन के अनेक उपमान मैले हो चुके हैं। बहुत आवश्यक है सामाजिक एवं आर्थिक विसंगतियों को पहचानने तथा उनपर दिशायुक्त प्रहार करने की। व्यंग्य को एक गंभीर तथा सुशिक्षित मस्तिष्क के प्रयोजन की विधा मानने वाले प्रेम जनमेजय आधुनिक हिंदी व्यंग्य की तीसरी पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। पिछले बयालीस वर्षों से साहित्य रचना में सृजनरत इस साहित्यकार ने हिंदी व्यंग्य को सही दिशा देने में सार्थक भूमिका निभाई है। परंपरागत विषयों से हटकर प्रेम जनमेजय ने समाज में व्याप्त आर्थिक विसंगतियों तथा सांस्कृतिक प्रदूषण को चित्रित किया है। 'व्यंग्य यात्रा' के संपादन द्वारा हिंदी व्यंग्य में एक नया मापदंड प्रस्तुत किया है। हिंदी के अनेक आलोचकों/लेखकों—नामवर सिंह, नित्यांनद तिवारी, निर्मला जैन, कन्हैयालाल नंदन, श्रीलाल शुक्ल, रवींद्रनाथ त्यागी, रामदरश मिश्र, गोपाल चतुर्वेदी, ज्ञान चतुर्वेदी आदि ने प्रेम जनमेजय के व्यंग्य लेखन पर सकारात्मक लिखा है। धारदार, चुटीले तथा सात्त्विक व्यंग्य-रचनाओं का पठनीय संग्रह।_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमबीती काहे बिसारूँ — Pgs. 71. मनुष्य और ठग — Pgs. 112. जनतंत्र की कथा — Pgs. 153. मंत्रीक्षेत्रे, कुरुक्षेत्रे — Pgs. 194. इंस्पेक्टर का तबादला — Pgs. 245. सत्य के पहलू — Pgs. 276. अहिंसा परमो धर्मः — Pgs. 307. कवित, तेरा क्या होगा? — Pgs. 338. साहित्यकारों का मजमा — Pgs. 369. एक प्रेम-पत्र — Pgs. 4110. तू गाए जा — Pgs. 4411. फिल्म और मेरी पत्नी — Pgs. 4712. मंत्रीजी का कुत्ता — Pgs. 5113. शुभचिंतक — Pgs. 5514. लेखकीय पीड़ा के पाँच दिन — Pgs. 5815. बच्चू भैया — Pgs. 6116. राजधानी में गँवार — Pgs. 6617. दाढ़ी क्यों बढ़ी? — Pgs. 7518. हाय तेल! वाह तेल! — Pgs. 7719. समीक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन — Pgs. 8020. एक देशभक्त — Pgs. 8321. सिर मुँड़ाते ओले — Pgs. 8722. संपादक-स्तुति — Pgs. 9023. और फिर...? — Pgs. 9224. समुझै कवि की कविताई — Pgs. 9625. फिल्मी मुहल्ला — Pgs. 9926. लघु कथाएँ — Pgs. 10327. डोलना इंद्र के सिंहासन का — Pgs. 10528. जलने की प्रथा — Pgs. 10629. होनेवाली पत्नी—नुकसान दस हजार का — Pgs. 10930. स्वर्णाक्षरों की खोज — Pgs. 11231. चरण-धूल — Pgs. 11532. निबंध-पाठ की योजना — Pgs. 11833. अधूरा शोध — Pgs. 12134. बेशर्ममेव जयते — Pgs. 12435. चुनाव का आँखों देखा हाल — Pgs. 12736. इंद्रधनुष का जादू — Pgs. 13137. अथ स्टडी-लीव प्रकरण — Pgs. 13438. चिपको आंदोलन, सावधान! — Pgs. 13939. मक्खियाँ — Pgs. 14240. चरण-चिह्नों पर — Pgs. 14541. मैं संयोजक बन गया हूँ — Pgs. 14842. शिक्षा खरीदो : शिक्षा बेचो — Pgs. 15343. गलियाँ और भीड़ — Pgs. 15644. एक गाँव की — Pgs. 16345. बीच का मौसम — Pgs. 17046. आह! आया महीना मार्च का — Pgs. 17347. आया रंगीन टी.वी. 17648. बस-स्टॉप की भीड़ — Pgs. 17949. अथ परीक्षक-वृत्तांत — Pgs. 18450. भेड़ाघाट, चाँदनी रात और कवि-मित्र — Pgs. 18851. बलात्कार के पहलू — Pgs. 19152. हमें मत छेड़ो, हम रिसर्च कर रहे हैं — Pgs. 19453. एक अबाढ़-पीडि़त की व्यथा — Pgs. 19754. लिफ्ट की तलाश में — Pgs. 19955. कोई मैं झूठ बोलया — Pgs. 202

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